चौमुखनाथ में वैसाखी सोमवार को भक्तों ने किया सदाशिव का जला अभिषेक
पन्ना जिले का सबसे शिवजी का प्राचीन मंदिर नचना कुठारा में चौमुखनाथ का महादेव के नाम से प्रसिद्ध है चौमुखनाथ मंदिर के गर्भ गृह में भगवान शिव की चारमुखी प्रतिमा इस्थापित है भगवान शिव के चारों मुखों के अलग अलग स्वरूप है अर्धनारीश्वर दूल्हे समाधी विषपान करने के चोरो मुखों में वर्णित है
वैसाख माह के सोमवार को चौमुखनाथ महादेव मंदिर में सैकड़ों की संख्या में लोगों ने भगवान सदाशिव का जला अभिषेक कर चन्दन पुष्प इत्र धूप दीप से पूजा अर्चना कर धर्म लाभ लिया एवं मंदिर परिसर में कथा भंडारे आयोजित किए
।भगवान विष्णु का अतिप्रिय बैसाख माह भगवान शिव की पूजा के लिए भी विशेष माना गया है दिन भगवान शिव को समर्पित है. ऐसे में कहा जाता है कि अगर सोमवार को भगवान शिव की सच्चे मन से पूजा की जाए तो सारे कष्टों से मुक्ति मिलती है और सभी मनोकामना पूरी होती है. शिव सदा अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं. भगवान विष्णु का अतिप्रिय वैशाख/बैसाख माह भगवान शिव की पूजा के लिए भी विशेष माना गया है. माना जाता है कि इस महीने में भगवान शिव की पूजा करने से वह जल्द खुश होकर अपने भक्तों को मनचाहा वर देते हैं. वैसे तो शिव पूजा सावन और कार्तिक महीने के सोमवार को करना भी विशेष माना गया है लेकिन वैशाख माह के सोमवार में भगवान शिव को प्रसन्न करना काफी आसान माना
चौमुखनाथ महादेव मंदिर छटी से .7 वीं शताब्दी का बताया जा रहा इस, मंदिर परिसर में एएसआई द्वारा दो माह से खुदाई करवाई जा रही है यह खुदाई कार्य मजदूरों द्वारा एएसआई की देख रेखा में हाथों से बारीक औजारों द्वारा किया जा रहा है
हमारे पन्ना ब्यूरो ने बताया की खुदाई कार्य की जगह रस्सी से छोटे छोटे सर्किल बनाए गए हैं उन्ही सर्किल में खुदाई की जा रही है दो माह कि खुदाई में एक शिवलिंग मिला है जो आधे जमीन के अंदर है आधे खुदाई करके निकाल लिया गया है शिवलिंग खुदाई से निकाला भाग सलामत है शिवलिंग में किसी प्रकार से खंडित नहीं है और एक कलाधारी मिली है जो टुट कर दो भागों में हो चुकी है सात आठ सर्किल में हुई खुदाई में प्राचीन इस्मारक मंदिर जैसे दिवाले दिखाई दे रही है व मंदिर के छोटे अनेकों छोटे अवशेष मिले हैं अभी पुरातत्व विभाग द्वारा खुदाई कार्य जारी है खुदाई का श्रेत्र बढ़ता जा रहा है एएसआई के अनुसार भोतिक अवशेषों का मिलना खुदाई कार्य में निरंतर जारी है चौमुखनाथ में भू गर्भ की जानकारी के लिए एएसआई द्वारा निरंतर दो माह से खुदाई कार्य करवाया जा रहा है अब देखना यह है की एएसआई को कोन कोन से प्राचीन अवशेष खुदाई में हासिल हो रहें हैं