
बचपन की यादें किस किस को याद है आज भी यह बचपन की वो कविता जो जीवन को नया तरीका भी सिखाती थी और गुनगुनाना भी अच्छा लगता था ,और मुझे याद है आज भी अपनी प्राथमिक विद्यालय का अनुशासन,जब प्रिंसिपल को हेडमास्टर जी कहा जाता था और गुरुजन का आदर करना भविष्य दूर से दिखाई देता था,वो तकती पर साफ साफ लिखने का प्रयास वो सबसे ज्यादा नंबर लाने की दौड़ वो खेल जिसमें कभी धर्म जाति की कोई बात ही नहीं थी वो नीचे बैठकर सम्मानपूर्वक शिक्षक का आदर और ध्यान से पढाई की लगन वो मेरा बचपन वो तेरा बचपन।।।।
रमेश सैनी सहारनपुर