असली विषय और मुद्दा कहीं गुम हो जाता और पूरी बहस बेपटरी

असली विषय और मुद्दा कहीं गुम हो जाता और पूरी बहस बेपटरी…!

वैसे तो लोकतंत्र को दुनिया की सर्वश्रेष्ठ शासन पद्धति माना जाता है लेकिन हमारे देश के राजनेताओं ने इसे अप्रिय बयानबाजी अशोभनीय भाषा और विरोधियों तथा प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ आरोप-प्रत्यारोप का जरिया बना लिया है! सूचना तंत्र स्तरहीन सामग्री से भरा हुआ है! टीवी पर प्रसारित होने वाले वाद-विवाद या बहस के लोकप्रिय कार्यक्रम भी आजकल इसी तरह की स्तरहीनता की भेंट चढ़ गए हैं!हालांकि इन बहसों में देश के बुद्धिमान नेता, पत्रकारिता जगत से जुड़े जाने-माने लोग और अपने विषयों के विशेषज्ञ भाग लेते हैं लेकिन व अक्सर दो खेमों में बंट कर आपस में लड़ने-भिड़ने लगते हैं!असली विषय और असली मुद्दा कहीं गुम हो जाता है और पूरी बहस बेपटरी हो जाती है!बहस करने वाले ही पक्ष-विपक्ष की भूमिका निभाने में व्यस्त दिखाई देते हैं!इस महत्त्वपूर्ण विषय पर चर्चा गंभीरता से होनी चाहिए!मगर खेद है कि कोई भी इसके बारे में चिंतित दिखाई नहीं देता! मीडिया के गिरते स्तर और राजनेताओं की अप्रिय भाषा में सुधार लाने के लिए आवश्यक प्रयास करने की जरूरत है!! रिपोर्ट रमेश सैनी सहारनपुर इंडियन टीवी न्यूज़

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