बच्चों में बढ़ता स्क्रीन टाइम खतरनाक..!!
अफसोस कि खेल के मैदान खत्म होते..!
आज मोबाईल हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुका है! इसके माध्यम से न केवल खरीदारी हो रही है,बल्कि बच्चों की आनलाइन पढ़ाई भी हो रही है!मगर सच यह है कि बच्चों का बचपन मोबाइल में कैद हो चुका है,बच्चों में बढ़ता स्क्रीन टाइम खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है! उनमें मोबाइल की लत बढ़ती जा रही है,यह लत बच्चों को शारीरिक,मानसिक और सामाजिक स्तर पर कमजोर कर रही है! बचपन मोबाइल में सिमट रहा है,प्रारंभ में माता-पिता बच्चों को व्यस्त रहने के लिए मोबाइल देते हैं मगर आगे चल कर यह आदत बन जाती है, इससे बच्चों में चिड़चिड़ापन बढ़ता जा रहा है।मोबाइल पर आनलाइन गेम खेलने के क्रम में कई बार बच्चे अपने माता-पिता का बैंक खाता खाली कर देते हैं!अब व मोबाइल से दूरी बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं,कई बार मोबाइल नहीं मिलने पर बच्चे अप्रिय घटना को अंजाम दे रहे हैं,बच्चों के लिए खेल के मैदान उपलब्ध होने चाहिए। अफसोस कि खेल के मैदान खत्म होते जा रहे हैं।आज बचपन को बचाना हर परिवार, समाज और विद्यालय का कर्तव्य है।
रिपोर्ट रमेश सैनी सहारनपुर इंडियन टीवी न्यूज़