पानी मिलाते-मिलाते दूध में अब होने लगी जहरीले रसायनों की मिलावट..
ऐसी कोई बड़ी कार्रवाई नहीं होती जो मिलावटखोरों के लिए बने एक सबक..
क्या मिलावट ऐसी लाइलाज बीमारी बन गई,जिसे ठीक करना लगभग असंभव..
आज पैसों की खातिर इंसान कितना गिर गया हैं वह यह भी नही देख रहा जो सामान तू बेच रहा हैं वह कहि ना कहि घूमकर तेरे घर भी वापस आयेगा,थोड़े से पैसे के लालच में आकर लोगों की जिंदगी से खेला जा रहा है जबकि हर तरह की मिलावटों के खिलाफ कानून बनाए गए हैं लेकिन उनका असर न के बराबर ही दिखता है!खाद्यान्न के अलावा पेय पदार्थों, तेलों, शहद और दूध में मिलावट बहुत बड़े पैमाने पर होती है!नियम के मुताबिक मिलावट रोकने के लिए खाद्य सुरक्षा एवं मानक कानून के तहत कार्रवाई होनी चाहिए,मगर ऐसी कोई कार्रवाई नहीं होती,जो मिलावटखोरों के लिए सबक बने!विज्ञान ने जिस दूध को पूर्ण आहार और आयुर्वेद ने अमृत कहा है,उस दूध से मुनाफा कमाने के लालच में मिलावट कर लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है इसकी वजह कानून का लचीलापन और मुनाफा कमाने की मानसिकता यप नही है!अब मिलावट ऐसी लाइलाज बीमारी बन गई है,जिसे ठीक करना लगभग असंभव मान लिया गया है!इस मानसिकता को बदलने की जरूरत है। पानी मिलाते-मिलाते दूध में जब जहरीले रसायनों की मिलावट होने लगे,तो इसे सामान्य कह कर नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।यह मिलावट दूध उत्पादक सहकारी संघों और निजी उत्पादकों के अलावा बिक्री करने वाले अनपढ़ दूधिए भी करते हैं! इसलिए दूध में मिलावट के खिलाफ सरकारी और गैरसरकारी अभियान साल के बारहों महीने चलाने की जरूरत महसूस होने लगी है। दूध में मिलावट का मतलब दूध से बनने वाले सभी उत्पादों में मिलावट होना।हरियाणा, पंजाब, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडीशा, उत्तराखंड, बिहार, छत्तीसगढ़ सहित देश के तमाम राज्यों से दूध में मिलावट की खबरें आती रही हैं।अभी हालहि में ही यूपी के बुलंदशहर में पुलिस प्रशासन की संयुक्त विभाग की टीम ने एक गोदाम पर छापा मारा और वहां से नकली मिलावटी दूध बनाने के नकली केमिकल भारी मात्रा में बरामद किए और पकड़े गए केमिकल से नकली दूध, पनीर, मावा तैयार किया जाता था और टीम ने काफी मात्रा में नकली मावा व दूध भी बरामद किया था यहां दूध और उससे बनने वाले नकली प्रोडेक्ट तैयार किए जाते थे।इसे देखकर तो लगता हैं कि मिलावट अब एक बेरोकटोक चलने वाली समस्या बन गई है! हर तरह की मिलावटों के खिलाफ कानून बनाए गए हैं लेकिन उनका असर न के बराबर है! खाद्यान्न के अलावा पेय पदार्थों, तेलों, शहद और दूध में मिलावट बहुत बड़े पैमाने पर होती है!नियम के मुताबिक मिलावट को रोकने के लिए खाद्य सुरक्षा एवं मानक कानून के तहत कार्रवाई होनी चाहिए मगर ऐसी कोई बड़ी कार्रवाई नहीं होती जो मिलावटखोरों के लिए सबक बने।
रिपोर्ट रमेश सैनी सहारनपुर इंडियन टीवी न्यूज़