वरिष्ठ पत्रकार/ पत्रकारिता जगत के भीष्म पितामह पंडित मिथिलेश प्रसाद द्विवेदी का निधन
सोनभद्र समाचार ब्यूरोचीफ नन्दगोपाल पाण्डेय
पत्रकारिता जगत का एक सूर्य अस्त हो गया, पत्रकारों में शोक कि लहर
सोनभद्र। वरिष्ठ पत्रकार/ पत्रकारिता जगत के भीष्म पितामह पंडित मिथिलेश प्रसाद द्विवेदी का वाराणसी में निधन, जनपद के पत्रकारों में शोक की लहर।
गौरतलब है कि जनपद के वरिष्ठ पत्रकार मिथिलेश प्रसाद द्विवेदी (75 वर्ष लगभग) का बीती रात वाराणसी में निधन हो गया। श्री द्विवेदी लगभग एक महीने से गंभीर रूप से बीमार चल रहे थे। इनके निधन से पूर्वांचल के पत्रकारों एवं पत्रकारों के विभिन्न संगठनों से जुड़े सम्वाददाताओं में शोक की लहर दौड़ गई है। मालूम हो कि श्री द्विवेदी इस उम्र में भी जीवित रहते हुए, सदैव पत्रकारों के हित में एवं पत्रकारिता में आने वाले नए युवाओं के लिए अनवरत कुछ न कुछ अच्छा करते रहते थे। इस खबर से सभी मर्माहत हूए हैं। ईश्वर मृतक शरीर की आत्मा को मोक्ष प्रदान करें, और शोकाकुल परिवार को आत्म बल प्रदान करें। पत्रकारिता जगत का एक सूर्य अस्त हो गया। पत्रकारिता जगत के पुरोधा हम सभी के गुरु एव गार्जियन मार्ग दर्शक पिता तुल्य चाचा मिथिलेश प्रसाद द्विवेदी रात्रि के 2 बजे परलोकवासी हो गए जिनको विनम्र श्रंद्धाजलि। पूर्वांचल मीडिया क्लब के संरक्षक, सोन साहित्य संगम सोनभद्र के निदेशक, मीडिया फोरम ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष, जनभावना मासिक पत्रिका के सलाहकार संपादक, निष्पक्ष निर्भीक लेखनी के जादूगर, जाने माने पत्रकार, पत्रकारिता जगत के भीष्म पितामह, अनेकों सम्मान से सम्मानित सरल हृदय हंसमुख जिंदादिल पत्रकारों और साहित्यकारों के हृदय में सदा रहने वाले पंडित मिथिलेश प्रसाद द्विवेदी हम सारे पत्रकारों है को अकेला छोड़ कर परम पिता परमेश्वर के श्री चरणों मे विलीन हो गए। पूर्वांचल मीडिया क्लब की तरफ से परम पिता परमेश्वर से प्रार्थना करता हूं कि दिवंगत आत्मा को अपने श्री में सदा- सदा के लिए स्थान देकर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें। एवम शोकाकुल परिजनों और शुभ चिंतकों को इस अपार दुःख को सहन करने की ताकत और धैर्य प्रदान करें। वरिष्ठ पत्रकार/ पत्रकारिता जगत के भीष्म पितामह पंडित मिथिलेश प्रसाद द्विवेदी के निधन कि खबर सुन कर जनपद के पत्रकारों ने दो मिनट मोन धारण कर दिवंगत आत्मा के लिए ईश्वर से प्रार्थना किए। उनकी अन्तिम अग्नि मणिकर्णिका घाट वाराणसी में किया गया।