सांस्कृतिक विकास केन्द्र, संगीत महाविद्यालय ने उस्ताद ज़ाकिर हुसैन को श्रद्धा सुमन अर्पित किया

नरेश सोनी
इंडियन टीवी न्यूज
ब्यूरो चीफ हजारीबाग

सांस्कृतिक विकास केन्द्र, संगीत महाविद्यालय ने उस्ताद ज़ाकिर हुसैन को श्रद्धा सुमन अर्पित किया

हजारीबाग : झील रोड स्थित सांस्कृतिक विकास केन्द्र संगीत महाविद्यालय के सभागार में प्रशिक्षुओं ने रविवार संध्या को विश्व विख्यात तबला वादक उस्ताद ज़ाकिर हुसैन को गीत- संगीत के माध्यम से श्रद्धा सुमन अर्पित किया. कार्यक्रम का आगाज उस्ताद के चित्र पर पुष्प अर्पण के साथ किया गया. महाविद्यालय के झील रोड शाखा के प्रभारी प्राचार्य निशु राज ने ज़ाकिर जी के प्रति श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि उस्ताद जी से हमलोग कभी सीधा मिल तो नहीं पाए लेकिन हमारे गुरुजी श्री अशोक सिन्हा जी उस्ताद अल्लारखा के शिष्य रहे हैं ज़ाकिर जी उस्ताद अल्लारखा जी के सुपुत्र थे तो उस नाते उस्ताद ज़ाकिर जी हम सब के भी गुरु हीं थे. हम अपने गुरुजी के माध्यम से उस्ताद जी के बारे सभी कुछ जानते हैं.
केन्द्र अधीक्षक अशोक सिन्हा ने कहा कि उस्ताद जी का जाना विश्व कला जगत के लिए एक अपूर्णीय क्षति है जिसकी भरपाई संभव नहीं है, ऐसे कलाकार सदियों में एक- आध हीं आते हैं. हमारा संबंध उनसे एक अलग हीं तरह का था. उस्ताद ज़ाकिर जी के अब्बा उस्ताद अल्लारखा साहब हमारे गुरु थे और उनके संगीत कक्ष में अक्सर जब भी वे हिंदुस्तान आते थे मुलाक़ात का सौभाग्य प्राप्त होता था. बहुत कुछ सीखा उनसे. इतने बड़े कलाकार होने के बावजूद विनम्रता उनमें भरी हुई थी. उस्ताद ज़ाकिर हुसैन जी न केवल भारतीय शास्त्रीय संगीत बल्कि फ्यूज़न संगीत और विश्व संगीत में भी अपना एक अलग स्थान बनाया था. महाविद्यालय के साधकों ने गीत एवं तबला वादन के माध्यम से श्रद्धा सुमन अर्पित किए. इनमें निशु राज ने पुरिया धनाश्री , प्रियांशी गुप्ता ने राग आसावरी, आर्या सुमन ने भैरवी, नेहा कुमारी ने बिहाग, अनमोल तिर्कि ने राग मालकोश, पीहू रानी ने भुपाली, सात्विकि ने काफी राग गाकर तथा मैक्सवेल ने तबले पर तीन ताल बजाकर श्रद्धा के फूल अर्पित किया. सभा का समापन संतोष सुमन के गाये गीत चिठ्ठी न कोई संदेश जाने वो कौन सा देश जहाँ तुम चले गए से हुआ.

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