युवा वर्ग ओर बच्चों में संस्कार-संस्कृति और सभ्यता..

युवा वर्ग ओर बच्चों में संस्कार-संस्कृति और सभ्यता..

मोबाइल के बढ़ते इस्तेमाल से अपनापन और भावनाएं गुमशुदा..!

देश की संस्कृति-सभ्यता हमारी पहचान रही है मगर विडंबना है कि वर्तमान परिदृश्य में युवा वर्ग ओर बच्चों में संस्कार-संस्कृति और सभ्यता नहीं के बराबर नजर आती है। घरों और परिवारों में अपनापन,आदर भाव, सत्कार और अभिवादन औपचारिक हो गए! परिवारों में सदस्य अब एक साथ बैठ कर नहीं खाते है इस समय मोबाइल के बढ़ते इस्तेमाल से अपनापन और भावनाएं गुमशुदा होती जा रही हैं। जबकि बच्चों को लोक परंपराओं, तीज-त्योहारों और नैतिक मूल्यों से रूबरू कराया जाना चाहिए। अगर हम अपनी संस्कृति-सभ्यता और संस्कारों की अनदेखी करते हैं, तो वह दिन दूर नहीं जब भारत की पहचान के लिए हमें प्रयास करने होंगे। इस परिस्थिति से उबर कर कर हमें भारतीय संस्कृति सभ्यता को जीवंत रखना होगा और इन्हें आत्मसात करना होगा। नई पीढ़ी को मातृभूमि का मान और सामाजिक मूल्यों का महत्त्व बताना होगा। पाश्चात्य सभ्यता के दौर में अपनी मौलिक संस्कृति को खो देना अच्छा नहीं है। क्या हम दिशाहीन युवावर्ग और बच्चों को संस्कार तथा संस्कृति का पाठ पढ़ाएंगे? क्या हम भारत की संस्कृति को जीवंत रखने के लिए कारगर कदम उठाएंगे ?

रिपोर्ट रमेश सैनी सहारनपुर इंडियन टीवी न्यूज़

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