कलेक्टर एवं जिला शिक्षा अधिकारी के निर्देशों का पालन नहीं करते नरसिंहगढ़ ब्लॉक के शिक्षक काफी पेंसिल की जगह बच्चों के हाथों में झाड़ू

राजगढ़ ब्यूरो चीफ संतोष गोस्वामी

कलेक्टर एवं जिला शिक्षा अधिकारी के निर्देशों का पालन नहीं करते नरसिंहगढ़ ब्लॉक के शिक्षक काफी पेंसिल की जगह बच्चों के हाथों में झाड़ू

नरसिंहगढ ब्लॉक में मनमर्जी के समय पर खुलते शासकीय विद्यालय शासकीय समय पर विद्यालय में शिक्षको की उपस्तिथि को लेकर पूछे गये प्रश्नों पर पांजरी स्थित शासकीय विद्यालय प्रभारी प्राचार्य ने कोई भी उत्तर देने से मना कर दिया जबकि विद्यालय प्रांगण में सुबह 10:50 बजे तक बच्चे बाहर खेल रहे थे अपना नाम नहीं छापने की शर्त पर ऐक महिला शिक्षिका ने शिक्षको की कई परेशानिया भी गिनाई कहा कि इस समय बच्चों के जाति प्रमाण पत्र बनवाने के लिये, निर्वाचन कार्यों में लगे होने के कारण भी शिक्षको पर पहले से दबाव रहता है और यदि समय से थोड़ा कम ज्यादा हो जाये तो आप लोगों को भी देखना चाहिये यह भी कहा कि आप लोग ओर अन्य विभागों में नहीं जाते केवल विद्यालयों के पीछे ही पड़े हुये हो वहीं दूसरी ओर पांजरा स्थित प्राथमिक विद्यालय में सुबह दोनों शिक्षक अनुपस्तिथ मिले विद्यालय भी पास में ही स्थित ऐक दुकान के संचालक ने खोला प्रश्न यह है कि विद्यालय कि चाभी दुकानदार के पास कैसे थी जबकि बच्चे सुबह विद्यालय के समय पर

आ चुके थे परंतु छोटे बच्चे बच्चियां विद्यालय

प्रांगण में लगा रहे है झाडू कर रहे साफ सफाई आखिर इन बालक बालिकाओं का दोष क्या है पढ़ने लिखने की उम्र में बच्चे यह सब क्या कर रहे है समझ नहीं आता विद्यालय में नौनिहाल मासूम छात्र- छात्राएं विद्यालय के प्रांगण में झाडू लगाते हुए मिले हैं। आखिरकार सवाल यह उठता है कि ये अध्यापक कब सुधरेंगे

इसी तरह खाट्यापुरा शासकीय प्राथमिक विद्यालय सुबह 10-40 बजे तक नहीं खुला था बड़ा प्रश्न यह है कि ऐक ओर शासन प्रशासन दूर दराज के क्षेत्रो में शासकीय विद्यालयों के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रो में निवासरत बच्चों को सुशिक्षित कर उनके उज्ज्वल भविष्य की नींव जिसे प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा कहा जाता है मजबूत करना चाहता है दूसरी ओर कई विद्यालयों शिक्षा को स्तिथि भी दयनीय हो गई है ग्रामीणो से बात करने पर उल्टा प्रश्न हम पर दाग दिया पूछा कि कितने सरकारी मास्टरों के बच्चे सरकारी विद्यालयों में पढ़ते है जब तक ऐसा नहीं होगा स्तिथि नहीं सुधरेगी अब ग्रामीणों का शासकीय विद्यालयों से मोहभंग होने लगा है आर्थिक स्तिथि ठीक न होने के बाद भी बेहतर शिक्षा के लिये अपने बच्चों को निजी विद्यालयों में भेजना उनकी मजबूरी बन चुकी है हो वहीं दूसरी ओर कुछ तथाकथित शिक्षक अपने आप को शासन के सभी नियमों से ऊपर मानते है

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