परंपराओं ने गरीब परिवारों का बहुत कुछ उजाड़ा..

तू ताना कभी न देता मुझे जहेज़ का अगर देख लेता छाले मेरे पिता के हाथ पे..

 

समाज में कई परिवार ऐसे भी जो जहेज़ लेने में विश्वास या सोच नही रखते वाकई में ऐसे परिवार काबिले तारीफ और समाज के लोगों के लिए एक प्रेरणा..!

 

दहेज़ के खिलाफ ना तो कोई बोलना चाहता है ना ही कोई सुनना चाहता है क्योंकि इसमें हम सब अपना अपना स्वार्थ देखते है!जहेज़ प्रथा नहीं लोगों की सोच को इतना खोखला कर दिया है!यह अब कोई नई बात नहीं रह गई है कि जहेज़ एक सामाजिक बुराई है और इसके लिए बहुत ही जघन्य अपराध होते हैं!इस समाज में विवाहों में जहेज़ को भेंट के रूप में देखा जाता है लेकिन इसकी वजह से बहुत से घर बिखर जाते हैं! परंपरा के इस पहलू ने गरीब परिवारों का बहुत कुछ उजाड़ा है! समाज में बहुत से परिवार ऐसे भी होते हैं जो पहले जहेज़ तो नहीं लेते हैं लेकिन शादी हो जाने के बाद लड़की को बहुत ही परेशान करते हैं दहेज के लिए!जहेज़ प्रथा महिलाओं के खिलाफ अपराध को भी जन्म देती हैं! इसमें भावनात्मक शोषण और चोट से लेकर मौत तक शामिल है!सरकार ने दहेज प्रथा को हटाने के लिए कानून लागू तो कर दिया फिर जहेज़ लेना बंद नहीं हुआ है! क्या सरकार या समाज को इस पर गंभीरता से सोचने की जरूरत कभी लगती है?जहेज़ को समाप्त करना है तो लोगों की सामाजिक और नैतिक चेतना को प्रभावी बनाना होगा महिलाओं को शिक्षा तथा आर्थिक स्वतंत्रता प्रदान करना होगा और जहेज़ प्रथा के खिलाफ कानून को प्रभावी ढंग से लागू करना होगा लेकिन समाज में आज जब हर तरफ जहेज़ की मारामारी है ऐसे में कई परिवार ऐसे भी हैं जो जहेज़ लेने में विश्वास या सोच नही रखते वाकई में ऐसे परिवार काबिले तारीफ है और यह परिवार समाज के लोगों के लिए एक प्रेरणा है और साथ ही जहेज़ लोभियों के लिए एक अच्छी सीख है।

 

रिपोर्ट रमेश सैनी सहारनपुर इंडियन टीवी न्यूज़

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