ब्यूरो – विजय साहू
कोण्डागांव से 9 किलोमीटर दूर ग्राम मड़ानार में एक अद्भुत धार्मिक घटना घटी, जब गांव की बालिका नंदनी ठाकुर को जंगल में स्वयंभू भगवान भोलेनाथ के दर्शन हुए। नंदनी अपनी दादी के साथ जंगल में बोड़ा (जंगल में पाया जाने वाला सरई पेड़ नीचे निकले मसरूम) खोजने गई थी, तभी उसने एक गड्ढे में काले पत्थर पर लगातार गिरते हुए पानी को देखा। यह घटना उसने गांववालों को बताई, जिससे पूरे गांव में सनसनी फैल गई।
गांव के बुजुर्गों और पुजारियों ने जब उस स्थान का निरीक्षण किया तो पाया कि वह पत्थर वास्तव में भगवान भोलेनाथ का स्वयंभू स्वरूप है। विशेष बात यह थी कि शिवलिंग के ऊपर गिरने वाला जल किसी ज्ञात स्रोत से नहीं आ रहा था, बल्कि भूमि के अंदर से जल प्रवाहित हो रहा था। इस अद्भुत दृश्य को देखने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी और तब से वहां दिन-रात पूजा-अर्चना की जा रही है।
स्थानीय लोगों ने इस स्थान को एक पवित्र तीर्थ स्थल मान लिया है और वहां एक मंदिर बनाने की योजना बनाई जा रही है। भोलेनाथ के इस चमत्कारी प्रकट होने की घटना से पूरे क्षेत्र में भक्ति और श्रद्धा की लहर दौड़ गई है। भगवान भोलेनाथ की पुजा अर्चना घनश्याम पाणीग्राही, आशिष दुबे के द्वारा देखरेख किया जा रहा है