प्रेम का अर्थ वासना या इच्छा नहीं, बल्कि अंतर्मन को समझना..

प्रेम का अर्थ वासना या इच्छा नहीं, बल्कि अंतर्मन को समझना..!

 

प्रेम मानव जीवन का आधार है। हर रिश्ते की बुनियाद इसी पर टिकी है। है। इसे आप कुछ भी नाम दे दीजिए। इसका प्रभाव कम नहीं होता है। यह पवित्र और दिव्य भावना है। प्रेम की वास्तविकता को समझने के लिए उसे आत्मा की गहराई से जोड़ कर देखना चाहिए। फरवरी का यह वही समय है, जब संत वेलेंटाइन को युवा पीढ़ी याद करेगी, लेकिन सही अर्थ समझे बिना। प्रेम एक पवित्र शब्द है, जिसकी मूल भावना आज की युवा पीढ़ी नहीं समझ रही। प्रेम और इसकी पवित्रता हर रिश्ते को नया रंग प्रदान करते हैं। प्रेम का अर्थ वासना या इच्छा नहीं, बल्कि अंतर्मन को समझना भी है। आजकल के दौर में प्रेम के सही मायने भुला दिए गए हैं और इसे केवल आकर्षण या सुख की तलाश से जोड़ा जाता है। जबकि ढाई आखर के इस प्रेम का असली स्वरूप परस्पर विश्वास और सहानुभूति में ही निहित है। हमारी संस्कृति में प्रेम की जड़ें गहरी हैं। मीराबाई का अपने आराध्य के लिए निश्छल प्रेम है, जिसका जितना वर्णन किया जाए कम होगा। प्रेम तभी वास्तविक रूप से सशक्त बन सकता है, जब हम इसे सही दृष्टिकोण से समझें।

 

रिपोर्टर रमेंश सैनी सहारनपुर इंडियन टीवी न्यूज़

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