
कुंभराज क्षेत्र के बिरयाई गांव में दबंगों की दबंगई और दादागिरी
गालियां देने से मना किया तो घरों में घुसकर की मारपीट, पुलिस ने किया मामला दर्ज
गुना। देशभर में एक तरफ बीजेपी सरकार में धर्म के ठेकेदार हिंदू हिंदू सब भाई भाई के नाम पर दिखावा किये जा रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर गांवों में हिंदू ही दबे, कुचले, निर्धन और असहाय लोगों पर अत्याचार किए जा रहे हैं और समाज में जातिवाद का जहर घोले जा रहे हैं। ऐसा ही एक मामला जिले के कुंभराज थाना क्षेत्र की चौकी भमावद के ग्राम बिरयाई का वायरल हुआ है। जिसमें होली पर रात में सीधे तौर पर सिर्फ अहिरवार समाज के लोगों को जाति सूचक गालियों से अपमानित किया और मारपीट की। यही उपद्रव जब दिन के समय दबंग ग्रामीणों ने मोहल्ले में किया। ऐसा करने तथा गालियां देने से मना किया तो घरों में घुसकर कर मारपीट कर डाली। उक्त घटना की शिकायत पीड़ित कुंभराज पुलिस थानेदार के पास करने पहुंचे तो उन्होंने सुनने से अनसुना कर दिया। इसके बाद मामले को कलेक्टर किशोर कुमार कन्याल और एसपी संजीव कुमार सिन्हा ने संज्ञान में लेकर कुंभराज थाने में मामला दर्ज कराया।
दरअसल उक्त मामला वायरल होते ही मीडियाकर्मियों ने घटना की जड़ को जानने की कोशिश की। जिसमें यह तथ्य सामने आया कि कुम्भराज क्षेत्र के बिरयाई गाँव में कल होली के अवसर पर यादवों द्वारा दलित समुदाय अहिरवार समाज के लोगों पर पुरानी परम्परा बताकर जाति सूचक शब्दों से जलील किया गया और उनके साथ मारपीट की गई। पीड़ितों द्वारा बताया गया कि हर साल यह लोग अहिरवार समाज को ऐसे ही जाति सूचक शब्दों से गालियां देकर समाज को जलील व अपमानित कर उनका शोषण व अत्याचार करते हैं। समय बदल गया है, लेकिन जातिवादी मानसिकता के लोग नहीं बदले।
हिंदू धर्म की दुहाई देने वाले भी अब इस पर कुछ नही कहेंगे, क्योंकि ऐसा करना उनकी शान समझते हैं?
इस परंपरा का विरोध करण अहिरवार और पिता बाबूलाल अहिरवार ने किया तो पूरे गांव के लोग मारने आ गए। जान से मारने की धमकी दी और मारपीट की गई।
इतना ही नहीं घरों में घुसकर अहिरवार समाज को तूफान पटेल और नारायण सिंह यादव के कहने पर उनके नाती गोविंद यादव पिता चंद्र मोहन यादव और श्याम सुंदर यादव पिता बादल यादव तथा यादव समाज के अन्य लोग जो उनके छोटे बच्चों को साथ लेकर गांव की गलियों में घूमकर चमारों के नाम से गली दिलवा रहे हैं जिसमें बड़े-बड़े लोग भी शामिल है।
इस संबंध में पीड़ित कमलेश अहिरवार, बाबूलाल अहिरवार, मोहरवाई, रामकृष्ण, बुजुर्ग श्रीलाल अहिरवार ने बताया कि वर्षों से 15_ 20 लोग एकत्रित होकर गाली गलोंच और मारपीट करते हैं।
जबकि होली केवल रंगों का त्योहार नहीं है। यह एकता, प्रेम, भाईचारे और सद्भावना का प्रतीक पर्व है। यह पर्व समाज में समरसता को बढ़ावा देता है और हर वर्ग, जाति और मत-पंथ के लोगों को एक सूत्र में जोड़ता है। यह त्योहार प्रकृति के प्रति कृतज्ञता और जीवन के रंगीन पहलुओं को स्वीकार करना भी सिखाता है।
जिला गुना से गोलू सेन की रिपोर्ट