ब्यूरो चीफ सुंदरलाल जिला सोलन,
आज के वैज्ञानिक युग में हमारी युवा पीढ़ी जीवन में आगे निकलने के लिए ऐसी रफ्तार में भाग रही है कि उनकी तमाम जिंदगी मात्र अपने लक्ष्य तक ही सीमित होकर रह गई है । इस दत्तक दौड़ में युवा वर्ग क्या क्या पीछे छोड़ चुके हैं उसकी उन्हें कोई परवाह ही नहीं है । हां जब कभी अचानक जीवम के किसी पड़ाव पर अपने कदम पलभर के लिए रोकता है तो उसे इस बात का एहसास होता है कि इस दौड़ में वह काफी कुछ खो चुका है । युवा वर्ग जीवन पथ पर अलग अलग लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए प्रयासरत रहता है । सम्पत्ति विस्तार ,प्रतिष्ठा और धन का मोह उसे समय समय पर झकझोरता रहता है । इसके लिए युवा वर्ग अपनी नैतिकता और जीवन मूल्यों को ताक पर रखने के लिए भी तैयार नजर आता है । जीवन मूल्यों में जो महत्वपूर्ण तथ्य आज धराशायी हो रहे हैं उसमें युवा पीढ़ी ज्यादा सम्मलित दृष्टिगत हो रही है । इसकी बजह यह है कि युवा बिना सोचे बिचारे हर चमकने वाली वस्तु को खरा सोना समझने की गलती कर बैठता है ओर ऐसे में अपने ही हाथों अपना सर्वस्य लिटा कर भँवर जाल में फंसता है । यहां से उसके पतन की शुरुआत होती है । इसके बाद वह तमाम उलझनों में उलझता ही चला जाता है । इन उलझनों से बाहर निकलने के लिए फिर उसका रुख नशा वृत्ति की तरफ अग्रसर होता है ये ऐसे नाजुक क्षण होते हैं जहाँ पर अभिभावकों को संयम से काम लेते हुए युवा की हताशा को मिटाने का उपचार करना चाहिए । यदि ऐसी स्थिति में माँ बाप युवा की गलतियों को नजरअंदाज कर जाते हैं तो वे उसे व्यसनों के अंधकार से खीँच पाने में असमर्थ से दिखते हैं जो समय जीवन को संवारने सजाने व ज्ञानवर्धक का होता है उस बहुमुल्य समय को वे व्यसनों के अधीन कर बैठते हैं । नशे लत ने आज युवा पीढ़ी को कमजोर व खोखला कर दिया है । शराब , भांग , गांजा , कोकीन ,हीरोइन हशीश ओर न जाने कितनी ही तरह के नशीले पदार्थ आज युवकों को अपनी गिरफ्त में ले रहे है । ऐसा नही की पुलिस व प्रशासन का शिकंजा नहीं कसता । फिर भी इनका बढ़ता प्रचलन हैरानी में डालता है दुखद यह भी है कि युवा पीढ़ी के साथ साथ स्कूली बच्चे भी समाज में व्याप्त इस नशे के जाल में फंस रहे हैं । अगर स्कूलों में छात्रों के थैलों में तंबाकू पदार्थ या दूसरे आपत्तिजनक सामान मिल रहे हैं तो यह सभ्य स्मसज में सही नही ठहराया जा सकता इसमें भी रत्ती भर सन्देह नहीं कि यही नशे की प्रवृत्ति प्रदेश में बढ़ते आपराधिक मामलों के लिए भी जिम्मेदार है । पुलिस द्वारा न जिसने कितनी ही नशीली खेपों को पकड़ा जाता है । लेकिन फिर भी नशे का कारोबार लगातार बढ़ रहा है । इस तरह का कारोबार गुपचुप तरीके से समाज में दलालों के जरिए अपने पैर पसार रहे हैं । धन के लोभी ऐसे लोगों को यह एहसास नही होता कि उसके थोड़े से लाभ के चक्र मे कितने ही युवा तबाही की तरफ बढ़ रहे हैं और न जाने कितने ही घर तबाह हो चुके हैं । नशे की बजह से हमारी दवा पीढ़ी अपनो सोच समझ खो रही है । और समाज व प्रशासन की परेशानियां बढ़ती जा रही है । वर्तमान में भौतिक समाज की चमक दमक का असर भी नवयुवकों को काफी लालपित कर रहा है तरह तरह के भृमित विज्ञापनों से युवा वर्ग आकृष्ट होकर दिशा भटक रहा है । फिल्मों के कई ऐसे दृश्य है जो केवल फिल्मों में ही ठीक लगते हैं वास्तविक जीवन में वे शोभा नहीं देते फिर भी अगर बिना समझे उनका अनुसरण वास्तविक जीवन में होता है तो अव्यवस्थाओं का पनपना तय है । नई नई तकनीकों के आविष्कार से जीवन जरूर सरल हुआ है , परन्तु अगर ये यन्त्र किसी भी तरह के अपराध को बढ़ाते हैं तो फिर उनके उपयोग को सीमाएं तय होनस आवश्यक है । मोबाईल की बजह से यकीनन संचार क्षेत्र में एक क्रांति आई है , परन्तु उनके जो दुरपयोग उभरकर हमारे सामने आए हैं उनपर नियंत्रण जरूरी है आज समय की जरूरत है कि हम अपने बच्चों के सहयोगी व पथदर्शक बनकर उनके सुनहरे सपनों को सकारात्मक दिशा प्रदान करें । साथ ही हम उनमे सुसंस्कारों की फसल बोने में सफल रहते हैं तो काफी हद तक बच्चे पथ से नही भटकेंगे । अगर वे इन्ही संस्कारों को जिंदगी भर के लिए आत्मसात कर लें तो उनकी कई मुशिकलों का हल हो जायेगा । अगर हम भविष्य में अच्छे परिणाम चाहते हैं , उसके लिए हमे आज से ही प्रयास शुरू करने होंगे ।