ब्रेकिंग मानिकपुर, चित्रकूट। अपने भुगतान के लिए दर दर भटक रहा व्यापारी।अधिकारियों द्वारा दिया जाता रहा है भुगतान करने का आश्वासन, अधिकारियों के मौखिक आदेश पर सरकारी कार्य करवाकर अपने भुगतान हेतु परेशान व्यापारी। यह मामला कस्बे के गोविन्द नगर मानिकपुर मे रहने वाले नीलकमल शुक्ल का है उन्होंने बताया कि मेरी प्रथा ट्रेडर्स के नाम कल्याण केन्द्र चौराहा मे लोहे की दुकान व कारखाना है।लगभग दो साल पहले तहसील क्षेत्र के निही चरैया ग्राम पंचायत के अन्तर्गत चरैया नदी में पुल ना होने के कारण कुछ स्कूली छात्रों के नदी में बहने व पुलिस द्वारा बचाये जाने की खबर मीडिया द्वारा चलाई गई थी जिसको संज्ञान में लेकर तत्कालीन उपजिलाधिकारी मानिकपुर संदीप वर्मा तहसीलदार मानिकपुर के साथ मेरी दुकान में आये और तत्काल नदी में एक लोहे का पुल बनाकर लगाने का मौखिक आदेश दिया और कहा कि जिलाधिकारी महोदय का बहुत दबाव है अतः आप अविलम्ब यह कार्य करवा दें जब प्रार्थी ने भुगतान करने की बात की तो उपजिलाधिकारी ने कहा था कि आप पहले जितनी जल्दी हो सके पुल का कार्य करवा दें आपका भुगतान किसी ना किसी मद से कर दूंगा, प्रार्थी द्वारा चरैया नदी पर लोहे का पुल बनवाकर लगवा दिया गया था जिस पर प्रार्थी का साठ हजार रुपए/60000रुपये का खर्च आया था, जिसके भुगतान हेतु प्रार्थी ने उपजिलाधिकारी से कहा था तो उन्होंने कहा था कि वह बहुत जल्द आपका भुगतान कर देंगे परन्तु कुछ ही दिनों बाद उनका स्थानांतरण हो गया जिससे प्रार्थी का भुगतान रह गया था, उस भुगतान के लिए दो वर्ष से व्यापारी उपजिलाधिकारी मानिकपुर व जिलाधिकारी को कई बार शिकायती पत्र दिया जिस पर अधिकारियों द्वारा भुगतान करने का आश्वासन दिया जाता रहा है, भुगतान हेतु व्यापारी ने कई बार तहसील दिवस/समाधान दिवस पर भी शिकायती पत्र लिखकर दिया परन्तु आज तक भुगतान नहीं हुआ, व्यापारी नीलकमल ने बताया कि पूर्व में जिलाधिकारी महोदय ने उपजिलाधिकारी मानिकपुर को दैवी आपदा राहत कोष से उक्त भुगतान करने के लिए कहा था लेकिन भुगतान नहीं हुआ जब प्रार्थी कई बार तहसील के अधिकारियों से भुगतान हेतु कहा तो उपजिलाधिकारी द्वारा इस भुगतान के लिए कोई मद नहीं है कहकर पल्ला झाड़ लिया जाता रहा है, व्यापारी ने बताया कि वह मध्यम वर्गीय परिवार से छोटा व्यापारी है और भुगतान ना होने से काफी परेशान है और अधिकारियों के आफिसों के चक्कर लगा लगा कर परेशान हो गया है परंतु जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा यह कह देना कि यह कार्य हमारे समय के पहले का है और ऐसे भुगतान हेतु हमारे पास कोई मद नहीं है आपका भुगतान होना बहुत मुश्किल है यह बात सुनकर व्यापारी मानसिक व आर्थिक रूप से काफी परेशान है आखिर इसमें व्यापारी की क्या गलती है उसकी पूंजी फंसी हुई है यह बात जिम्मेदार अधिकारी क्यों नहीं सोचते, क्या इतना कह देना कि यह कार्य हमारे समय का नहीं है ना ही इस भुगतान के लिए हमारे पास कोई मद है कह देने से अधिकारियों की जवाबदेही समाप्त हो जाती है आखिर अधिकारी व्यापारी द्वारा कराये गये कार्य और उसकी लगी जमापूंजी के बारे में क्यों नहीं सोचते यह एक यक्ष प्रश्न है। पीड़ित व्यापारी ने बताया कि वह दो साल से अधिकारियों के यहां भुगतान के लिए चक्कर लगा कर थक चुका है और वह इस भुगतान के लिए प्रदेश के मुखिया योगी जी से गुहार लगायेगा अगर फिर भी अधिकारियों द्वारा भुगतान नहीं किया जाता तो वह न्यायालय की शरण में जाने को मजबूर होगा। प्रश्न यह है कि क्या व्यापारी ने उपजिलाधिकारी के मौखिक आदेश पर कार्य करवा कर बहुत बड़ी गलती कर दिया था जिसके भुगतान हेतु अधिकारियों के आफिसों के चक्कर लगाने को मजबूर है।पीड़ित व्यापारी ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर अपने भुगतान कराये जाने की मांग की है। रिपोर्ट, जितेन्द्र मोहन शुक्ल एड.पत्रकार