जिला-सिवनी ब्यूरो चीफ
अनिल दिनेशवर
@ जिला पंचायत में स्व.हरवंश सिंह के रहते कांग्रेस का रहा कब्जा
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सिवनी,मध्यप्रदेश चुनाव आयोग द्वारा जारी दिशा निर्देश स्पष्ट करते हैं कि जल्द ही पंचायत चुनाव संपन्न होंगे,पहले ही आयोग स्पष्ट कर चुका है की सरकार जिला पंचायत अध्यक्ष के आरक्षण को लेकर अपना ब्यौरा प्रस्तुत करें हालाकि अभीतक आरक्षण की प्रक्रिया पूरी नही हो पाई है
गुप्त सूत्रों से मिली जानकारी के आधार पर त्रिस्तरीय जिला,जनपद एवं पंचायत स्तर के चुनाव नवम्बर माह की अंतिम सप्ताह में हो सकते हैं राज्य के निर्वाचन आयोग बसंत प्रताप सिंह ने 21 अक्टूबर को सभी जिला निर्वाचन अधिकारीयों व कलेक्टरों की बैठक बुलाई है जिसके बाद चुनाव की तारीख घोषित हो सकती है
जिला सिवनी में पंचायती राज व्यवस्था के अंतर्गत हुय चुनाव में लंबे समय तक कांग्रेस का कब्जा रहा है इस दौरान कांग्रेस के चाणक्यकार कद्दावर नेता के नाम से प्रसिद्ध स्व.हरवंश सिंह ठाकुर प्रदेश सरकार में त्रिविभागिय मंत्री रहे उन्होंने अपनी सक्रियता के साथ चुनाव परिणामों के बाद जिले की राजनीति को प्रभावित करने वाले जिला सिवनी पंचायत अध्यक्ष पद के पद पर कांग्रेसी विचारधारा से निर्वाचित जिला पंचायत अध्यक्ष सदस्य को काबिज करवाने में सफलता हासिल की ।
यह सिलसिला श्रीमती गीता उइके से आरंभ होकर श्रीमती रेनवती मानेश्वर,श्रीमती प्रीत ठाकुर एवं मोहन चंदेल तक बदस्तूर चलता रहा किंतु स्व.हरवंश सिंह के आकस्मिक निधन से जिला पंचायत सिवनी में वर्ष 2015 के दौरान बहूमत होते हुए भी कांग्रेस अपने उम्मीदवार को निर्वाचित नही करवा पाई दूसरी तरफ अल्पमत में रहने के पश्चात बीजेपी ने श्रीमती मिना बिसेन को जिला पंचायत अध्यक्ष बनवाने में सफलता प्राप्त कर ली यहीं से जिला पंचायत में कांग्रेस का वर्चस्व सप्ताह होते चला गया आगामी दिनों में पुनः 19 जिला पंचायत सदस्यों का प्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव होगा,जहाँ भाजपा एवं कांग्रेस द्वारा अपने क्षेत्रीय समर्थित प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतारा जाएगा पर देखना यह है कि विपक्ष में बैठी कांग्रेस जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए होने वाले चुनाव के दौरान अपने समर्थित सदस्य को निर्वाचित करवाने में सफल होती है या नही चूंकि मार्च 2015 के दौरान 24 में से 11 सदस्य कांग्रेस के पक्ष में थे वहीं एक सदस्य निर्दलीय निर्वाचित हुए था लेकिन 7 जिला पंचायत सदस्यों वाली भाजपा ने मीना बिसेन को अपनी रणनीति से अध्यक्ष बनवाने में सफलता हासिल कर ली जबकि उपाध्यक्ष का पद भी उस समय निर्दलीय ही रहे चन्द्रशेखर चतुर्वेदी को मिला हालांकि वर्तमान में वे कांग्रेस में हैं अब देखना यह है कि किस तरह से जिला कांग्रेस कमेटी सदस्यों के चुनाव एवं उनके विजय होने पर दल में समर्थित रहने के लिए किस तरह की रणनीति अपनाता है