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एक लंबी सुरंग, आकर्षक नक्काशी, बेनमून वास्तुकला, एक बावड़ी और प्रेम का प्रतीक :देखते ही हर किसी के मुंह से निकलती है, वाह! गजब!

एक लंबी सुरंग, आकर्षक नक्काशी, बेनमून वास्तुकला, एक बावड़ी और प्रेम का प्रतीक : रानी की वाव

नीलेश श्रीमाली मेसरीअन – पाटन/गुजरात

जिसकी एक झलक देखते ही हर किसी के मुंह से निकलती है, वाह! गजब! दुनिया के सात अजूबे देखने के बाद भी रानी की वाव को नहीं देखा तो क्या देखा?

आपको रुख करवाते हैं एक ऐसी कहानी से जो जानने के लिए आप काफी उत्सुक होंगे। साल 2014 में यूनेस्को ने विश्व विरासत स्थल घोषित किया रानी की वाव को। कहानी है भारत के एक ऐसे कुंआ (वाव/बावड़ी) की, जिसके अंदर बनी है 30 किलोमीटर लंबी खुफिया सुरंग, ‘रानी की बावड़ी’ का इतिहास 900 साल से भी ज्यादा पुराना है और यहां भारी संख्या में पर्यटक घूमने के लिए आते हैं।

गुजरात के पाटण में स्थित इस प्रसिद्ध बावड़ी को रानी की वाव भी कहा जाता है। कहते हैं कि रानी की वाव (बावड़ी) का निर्माण 1063 ईस्वी में सोलंकी राजवंश के राजा भीमदेव प्रथम की स्मृति में उनकी पत्नी रानी उदयामति ने करवाया था। रानी उदयमति जूनागढ़ के चूड़ासमा शासक रा’खेंगार की पुत्री थीं।

रानी की वाव 64 मीटर लंबा, 20 मीटर चौड़ा और 27 मीटर गहरा है। यह भारत में अपनी तरह का सबसे अनोखा वाव है। इसकी दीवारों और स्तंभों पर बहुत सी कलाकृतियां और मूर्तियों की शानदार नक्काशी की गई है। इनमें से अधिकांश नक्काशियां भगवान राम, वामन, नरसिम्हा, महिषासुरमर्दिनी, कल्कि आदि जैसे अवतारों के विभिन्न रूपों में भगवान विष्णु को समर्पित हैं।

सात मंजिला यह वाव मारू-गुर्जर वास्तु शैली का साक्ष्य है। यह करीब सात शताब्दी तक सरस्वती नदी के लापता होने के बाद गाद में दबी हुई थी। इसे भारतीय पुरातत्व विभाग ने फिर से खोजा और आज यह पर्यटक स्थलों में विश्वमे अनूठा नाम है।

कहते हैं कि इस विश्वप्रसिद्ध सीढ़ीनुमा बावड़ी के नीचे एक छोटा सा गेट भी है, जिसके अंदर करीब 30 किलोमीटर लंबी सुरंग बनी हुई है। यह सुरंग पाटण के सिद्धपुर में जाकर खुलती है।

ऐसा माना जाता है कि पहले इस खुफिया सुरंग का इस्तेमाल राजा और उसका परिवार युद्ध या फिर किसी कठिन परिस्थिति में करते थे। फिलहाल यह सुरंग पत्थररों और कीचड़ों की वजह से बंद है।

आज वर्तमान में रानी की वावमें देश दुनिया से लोग घूमने के लिए आते हैं। अगर एक बार अपने रानी की वाव को नहीं देखा तो मान लीजिए अपने जिंदगी में कुछ नहीं देखा, सच मानिए आप देखते ही रह जाएंगे इस बेनामून कारीगरीको। गुजरात के पाटन में स्थित यह रानी की वाव जहां पहुंचने के लिए आपको अहमदाबाद मेहसाणा से होकर पाटन जाना होता है, यदि आप पालनपुर से आते हो तो पालनपुर से सिद्धपुर होकर आप पाटन पहुंच सकते हैं। यहां पर आप रानी की वाव के अलावा सहस्त्र लिंग तालाब भी देख सकते हैं, यह भी बेहतरीन जगह है। इसके अलावा पाटन पटोला के लिए भी फेमस है, 900 साल पुराना है पटोला का इतिहास। पटोला एक प्रकार की साड़ी है जो बेहद खास है. इस साड़ी की सबसे बड़ी खासियत ये है कि ये 100 साल तक चल सकती है। इसके अलावा इसके कीमत 1 लाख से शुरू होकर 4 या 5 लाख तक है। यह हस्तकला से बनती है पूरी साड़ी। और अगर आप पाटन के मुलाकात पर आते हो तो रानीकी वाव, पटोला साड़ी के साथ साथ यहां की प्रख्यात मिठाई देवड़ा चखनेका का लुत्फ जरूर उठाना।

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