
*उमरिया सर्वधर्म प्रार्थना का हुआ आयोजन।*
*रिपोर्टर विजय कुमार यादव*
*एकता और अखंडता को बनाये रखने के लिए धर्मों का सार जानना ज़रूरी – अभय।*
उमरिया – कहने को कहें तो धर्म अपने कर्म पर बना हुआ एक ऐसा तरीक़ा है जिससे हम अपने जीवन को आगे लेकर चलते है। हमारे जीवन जीने के तरीक़े बताती है हम देखते है कि हर धर्म अपने आप में सभी लोगों को भलाई की बात करती है पर इसी धर्म के नाम पर लोग बट रहे है जबकि उमरिया ज़िला सद्भावना सौहार्द के लिए जाना जाता है। लोगों के बीच बातचीत है पर एक दूसरे के लिए साथ खड़े होना एकता और अखंडता को बनाये रखने के लिए हमे बंधुता के साथ एक दूसरे के धर्मों को समझना होगा जिसके लिये हमे धर्मों के सार को लेकर लोगों के बीच जाना होगा यह बात वरिष्ठ विचारक, चिंतक मॉडल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. अभय पाण्डेय सर्वधर्म प्रार्थना के कार्यक्रम में कहें।
नगर के परफ़ेक्ट पब्लिक स्कूल विकटगंज में आयोजित राष्ट्र के एकता और अखंडता को सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए कवि गोष्ठी व सर्वधर्म प्रार्थना का आयोजन किया गया। सर्वप्रथम प्रार्थना का अर्थ बताते हुए भूपेन्द्र त्रिपाठी ने कहा कि प्रार्थना मन, वचन और कर्म अपने को समर्पित करना होता है सर्वधर्म प्रार्थना सभी धर्मों का सार है कि धर्म किसी के प्रति द्वेष की भावना रखना नहीं सिखाता है वह प्रेम और करुणा का भाव से जीवन जीना सिखाता है। हमे अपने ग्रंथों को जो भाषा में हमे समझ आये उसमे समझनी चाहिए और ग़लत जानकारियों से हमे बचना चाहिये। वरिष्ट सामाजिक कार्यकर्ता संतोष कुमार द्विवेदी ने कहा कि जब मैं राष्ट्रीय युवा संगठन के शिविर में पहली बार इस प्रार्थना को सुना तब मुझे अहसास हुआ कि ये प्रार्थनाएं हमारे अंदर एक सकारात्मकता का संचार करती हैं, जो केवल अपने लिए नहीं बल्कि पूरे संसार के लिए होती हैं, यह वह प्रक्रिया है जो पूरी मानवता के कल्याण की बात करती हैं और सभी प्राणी मात्र को भी मनुष्य हो जाने के लिए प्रेरित करती है, जिसकी आज जरूरत भी है। वरिष्ठ कवि शम्भू सोनी ने कहा कि प्रार्थना से हम धर्मों के सही मायने को जान सके और इसे अपने सभी कार्यक्रमों का हिस्सा भी बनाना चाहिए जिससे सभी लोग धर्म को समझ सके और अपने जीवन का हिस्सा बना सकें। सामाजिक कार्यकर्ता व राष्ट्रीय युवा संगठन के पूर्व राष्ट्रीय संयोजक अज़मत भाई ने कहा कि एकता और बंधुता को बढ़ाने के लिए यह सार्थक पहल है । जिससे समुदाय समझे की हमारा आचरण ही धर्म को बनाने का कार्य करता है।
कार्यक्रम में सर्वधर्म प्रार्थना हुआ जिसमे सभी धर्मों के सार को समझा गया। वैदिक प्रार्थना ले जा असत्य से सत्य के प्रति, ले जा तम से ज्योति के प्रति, मृत्यु से ले जा अमृत के प्रति, ताओ प्रार्थना में सद्व्यहार करे जो मुझसे उससे सद्व्यहार करूँ दुर्व्यवहार करें जो मुझसे उससे सद्व्यहार करूँ। जैन प्रार्थना क्षमा मैं चाहता सभी से मैं भी सभी को करूँ क्षमा, मैत्री मेरी सभी से हो किसी से बैर हो नहीं, बौद्ध प्रार्थना, जीतो अक्रोध से क्रोध को साधुत्व से असाधु को, कंजूसी दान से जीतों, सत्य से झुठवाद को, वैर से न कदापि भी, मिटते वैर है कहीं, मैत्री से ही मिटे वैर यहीं धर्म सनातन। मुस्लिम प्रार्थना दयावान को करूँ प्रमाण, कृपावान को करु प्रमाण, विश्व सकल का मलिक तू, अंतिम दिन का चालक तू, तेरी भक्ति करूँ सदा तेरी पूजा करूँ सदा, दिखा हमे वह सीधी राह, जिन पर तेरी रहम निगाह, ऐसों की जो सीधी राह, दिखा हमे वह सीधी राह, जिन पर करता है तू क्रोध, भ्रमित हुए या है गुमराह, उनके पथ का लू नहीं नाम, दयावान को करु प्रमाण। ईसाई प्रार्थना शांति का वाध बना तू मुझे प्रभु, प्रभु शांति वाध बना, हो तिरस्कार वहाँ करूँ स्नेह, हो हमला तो क्षमा करूँ मैं, हो जहां भेद अभेद करूँ, हो जहां भूल मैं सत्य करूँ, हो संदेह वहाँ विश्वास, घोर निराश वहाँ करूँ आस, हो अंधकार वहाँ करूँ प्रकाश, हो जहां दुख उसे करूँ हास, सिख प्रार्थना एक ओंकार सतनाम, करता पुरखु, निरभउ, निर्वैरू, अकाल मूरत, अजूनी सैभं गुरु प्रसादि, आदि सचु, जगादी सचु, हैं भी सचु, नानक होसी भी सचु की हिन्दी में प्रार्थना किया गया और साथ ही प्रकृति की प्रार्थना हुई।
कार्यक्रम में कवि शेख़ धीरज, दुष्यंत सोनी, शिवानन्द पटेल, राजकुमार महोबिया, रामलखन सिंह चौहान, ज़ुबैद, शिवांश सेंगर
सामाजिक कार्यकर्ता संपत नामदेव, सुल्तान शेख़, महेश अजनबी, फूलबाई सिंह, नगीना सिंह, सतेंद्र, दीपम दर्दवंसी , लेख सिंह पत्रकार वरुण नामदेव, यश कुमार शर्मा शामिल रहें। कार्यक्रम के समापन में यह भी तय किया गया कि हर दो सप्ताह में नगर के अलग अलग मोहल्ले में प्रार्थना किया जाएगा। कार्यक्रम का संचालन अज़मत भाई ने किया आभार संपत नामदेव ने किया।