रिपोर्टर विनोद मीणा
जबकि बीमार व्यक्ति हॉस्पिटल में जाता है तो उसे 40 50000 तो कैसे जमा करवा लेते और बाद में डॉक्टर किए थे आयुष्मान कितने इलाज हो रहा है जबकि हर जांच का पैसा हॉस्पिटल वाले पेट्रोल लेते उसके बाद में आयुष्मान किस बीमारी की तरह लगता है इसका भी तो अस्पताल में चिन्हित होना चाहिए और बीमार व्यक्ति कोटेशन के ऊपर जिस आदमी जिस मरीज का बीमा का इलाज होता है उससे बिल देने के बाद में शासन को इसका भुगतान करना चाहिए ताकि मालूम पड़े की अस्पताल में डॉक्टर फर्जी बिल लगाकर भी आयुष्मान के साथ फायदा उठा रहे हैं अस्पताल जाते तो सर में दर्द होता है तो पेट का ऑपरेशन पर आयुष्मान लगता है और सर का दर्द बताते तो पेट का आयुष्मान बता दे और पेट में दर्द होता है तो सर का आयुष्मान बताते हॉस्पिटल वाले इसलिए शासन इसकी जांच की जाए।