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हजारीबाग लोकसभा प्रत्याशी संजय कुमार मेहता ने कहा कि हम नया सवेरा लाएंगे

हजारीबाग लोकसभा प्रत्याशी संजय कुमार मेहता ने कहा कि हम नया सवेरा लाएंगे, अपार समर्थन के लिए आभार हमारी लड़ाई झारखंड के स्वाभिमान को लेकर है हम अपने वैचारिक संघर्ष को आगे लेकर बढ़ते रहेंगे

संवाददाता नरेश सोनी

हजारीबाग लोकसभा चुनाव 2024 में स्थानीयता और झारखंडी मुद्दों को लेकर लड़ाई लड़ रहे नौजवानों की टोली ने एक लंबी लकीर खींच दी है। चुनाव में पराजित होने के बाद भी हक़ अधिकारों के लिए बदलाव के शंखनाद में जेबीकेएसएस समर्थित निर्दलीय प्रत्याशियों ने दिखा दिया कि हौसले और जज्बे के बल पर इतिहास लिखा जा सकता है।

हजारीबाग लोकसभा से जेबीकेएसएस समर्थित निर्दलीय प्रत्याशी संजय कुमार मेहता ने 1.5 लाख से ज्यादा वोट लाकर एक बड़ा उदाहरण पेश किया है। पुरे झारखण्ड में संजय मेहता की सराहना हर कोई कर रहा है।

परिणाम आने के बाद प्रत्याशी संजय कुमार मेहता ने हजारीबाग लोकसभा वासियों समेत एक-एक जन के प्रति आभार प्रकट किया है।

उन्होंने कहा है कि यह हमारी कोई पराजय नहीं है बल्कि जीत की बुनियाद है। हम साधारण नौजवानों के पास क्या था ? कोई राजनीतिक पृष्ठभूमि नहीं, कोई धनबल नहीं, कोई बाहुबल नहीं इसके बावजूद हम लोगों ने कड़ी चुनौती पेश की। हमारी चुनौती देश के बड़े राजनीतिक सत्ता से थी। खुद जहां पर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, पूरा सिस्टम, पूरा पैसा लगा हो वहां हम 29 – 30 साल के नौजवान शिद्दत से लड़ाई लड़ रहे थे।

उन्होंने लोगों को संदेश देते हुए आगे कहा कि दो ढाई साल के सफर में झारखंड की जनता ने एक अटूट प्यार दिया है। एक बड़ी जिम्मेवारी का एहसास कराया है। मुझे नहीं लगता यह किसी भी रूप में हमारी पराजय है। हम जीत की पहली सीढ़ी को पार कर चुके हैं। आने वाला कल हमारा है। हम सब फिर से पुनः तैयारी में लगेंगे, जहां कमी रह गई है उस पर काम करेंगे। मेहनत और संघर्ष में कोई कमी नहीं होगी। यह लड़ाई अनवरत जारी रहेगी।

संजय ने कहा कि हमारी लड़ाई सत्ता हासिल करने की कभी नहीं रही है। हमारी लड़ाई हमेशा से हक दिलाने की रही है। हमारी लड़ाई विचारों की रही है। हमारी लड़ाई झारखंड को लेकर रही है। हम अपने वैचारिक संघर्ष को आगे लेकर बढ़ते रहेंगे।

उन्होंने कहा कि यह वक्त थोड़ा हम सबके लिए कठिन है लेकिन हम ना परेशान होंगे और ना रुकेंगे। हम लड़ने के लिए पुनः तैयार होंगे। संघर्ष की बुनियाद पर अपना इतिहास बनाएंगे।

संजय ने जनता के प्रति अपनी भावना व्यक्त करते हुए कहा कि चुनाव के दौरान लोगों ने जो कुछ दिया है वह सबको नहीं मिलता। लोगों ने खाना दिया, पानी दिया, राशि दिया। अपना सब कुछ दिया। वरना हम सबों की इतनी ताकत नहीं थी कि हम चुनाव लड़ पाते। जनता ने हौसला दिया, चुनाव लड़ाया। सबने मिलकर जंग के मैदान में साहस दिया। संबल दिया। ना कोई स्टार प्रचारक, ना कोई बड़ा स्थापित राजनीतिक दल। सिर्फ 2 सालों का आंदोलन का सफर। जिस काम को बड़े-बड़े राजनीतिक दल नहीं कर पाते उसे हम लोगों ने 2 सालों में करके दिखाया ।

उन्होंने आगे कहा कि हमारी लड़ाई 100 साल 70 साल पुराने राजनीतिक दलों से थी। उनके पास सब कुछ था। हमारे पास सिर्फ विचारों की ताकत थी और संघर्ष का एक रास्ता था। आप कभी मत सोचिए कि आप इस जंग को हारे हैं। हम सबों ने मिलकर जंग को जीता है। आने वाले वक्त में हम सभी झारखंड में, देश की राजनीति में एक और बड़ा उदाहरण प्रस्तुत करेंगे। जब राजनीति पैसे और पूंजी और परिवार तक सीमित हो गई है। तब हम लोगों ने उसे खेत खलिहानों तक पहुंचाया है।

हम लोगों ने एक सपनों का बीज बोया है। छप्पर के घरों में रहने वाला एक साधारण किसान मजदूर का बेटा भी सांसद और विधायक बनने का सपना देख सकता है। राजनीति के पूंजीवादी स्वरूप में राजनीति का यह जमीनी स्वरूप अपने आप में अतुलनीय है। आज पूरे देश में आप सबके संघर्ष की चर्चा हो रही है। यह एक साझा संघर्ष रहा है। इस साझा संघर्ष में एक-एक कार्यकर्ता, साथी, सहयोगी शुभचिंतकों का अप्रतिम सहयोग रहा है।

संजय ने कहा कि आप सभी के ईमानदार प्रयास ने बड़े बड़ों के पसीने छुड़ा दिए हैं। आइये मिलकर हम अगली लड़ाई की तैयारी करते हैं। एक शानदार जीत की रणनीति तैयार करते हैं। भविष्य हमारा होगा। झारखंड को संवारने का सपना हम सब साकार करेंगे।

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