रिपोर्टर सुरेन्द्र सिंह बडेर (इंडियन टीवी न्यूज़)
एपीकल रूट कटिंग आलू में विषाणु मुक्त एवं स्वस्थ रोपण सामग्री तैयार करने में सहायक – डॉ बलराज सिंह।
आलू में एयरोपोनिक्स तकनीक द्वारा बीमारी और विषाणु मुक्त बीज और ट्यूबर का उत्पादन संभव : डॉ बलराज सिंह*
श्री कर्ण नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ बलराज सिंह ने विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाले सभी महाविद्यालयों के चतुर्थ वर्ष के विधार्थियों को ऑनलाइन मीटिंग के जरिए संबोधित किया। इस मीटिंग में कुलपति ने आलू की स्वस्थ रोपण सामग्री को तैयार करने की विधियों के बारे मे बताया। डॉ बलराज सिंह ने बताया कि बागवानी फसलों में विशेषतर सब्जियों में रोगरहित, विषाणुरहित और स्वस्थ रोपण सामग्री तैयार करना सबसे बड़ी चुनौती है। डॉ बलराज सिंह ने बताया कि स्वस्थ रोपण सामग्री से उत्पादन में 20 से 30% वृद्धि की जाती सकती हैं। डॉ बलराज सिंह ने आलू की आधुनिक तकनीकों सत्य आलू बीज ( TPS ) , सीड प्लॉट तकनीक के बारे में बताते हुए कहा कि इन तकनीकों के माध्यम से रोगमुक्त व गुणवत्तापूर्वक बीज तैयार किए जा रहे हैं । डॉ बलराज सिंह ने बताया कि आलू में वायरस एफिड से वहित होता है यह एफिड 21 जनवरी के आस पास संक्रमित करता है तो हमें संक्रमण से बचने हेतू बचाव विधियां अपनानी चाहिए। डॉ बलराज सिंह ने बताया कि 20 एफिड/100 कंपाउंड लीफ पर दिसंबर के महीने में डेहलमिंग कर देनी चाहिए। डॉ बलराज सिंह ने बताया कि गुजरात के दिसा जिले की आलू की उत्पादकता सर्वाधिक है तथा निर्यात भी अच्छा है । डॉ बलराज सिंह ने बताया कि करनाल हरियाणा के शामगढ़ में स्थित आलू प्रौद्योगिकी केंद्र द्वारा एयरोपोनिक्स तकनीकी से आलू के ट्यूबर बीज का उत्पादन किया जा रहा है जो सामान्य ट्यूबर बीज की तुलना में उच्च गुणवत्ता पूर्वक व रोगमुक्त व 10-12 गुणा अधिक पैदावार देने वाले हैं तथा किसानों को भी कम मूल्य पर उपलब्ध करवाए जाते है। इस तकनीक के द्वारा उत्तक संवर्धन से तैयार पौधों को कोकोपीट माध्यम में सख्त बनाकर पौधों के जड़ों को वायवीय माध्यम में लटका कर उच्च गुणवत्ता युक्त वायरस मुक्त ट्यूबर का उत्पादन किया जा सकता है। साथ ही उन्होंने बताया कि आलू की दो किस्म थार–1 व 2 से किसानों को अधिक मात्रा में मुनाफा हो रहा है क्योंकि इन दोनों किस्म में 20 से 30% कम पानी की आवश्यकता होती है। डॉ सिंह ने बताया कि आलू प्रौद्योगिकी केंद्र शामगढ़ में एपिकल रूट कटिंग तकनीक द्वारा भी विभिन्न किस्मों के ट्यूबर बीज तैयार किए जा रहे हैं। यह विधि हमें जोबनेर तथा आसपास के इलाकों में भी अपनाने की जरूरत है। इस मीटिंग में डॉ बी एस बधाला , डॉ राजेश शर्मा , डॉ हीना सहीवाला और 13 कॉलेजों की 192 छात्राओं ने भाग लिया।