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सरकारी धन का झोल, खुला ढोल के अंदर का पोल

*सरकारी धन का झोल, खुला ढोल के अंदर का पोल*

“स्थानीय स्तर पर शिक्षा की सुविधा के लिए डीएमएफ से देंगे सहयोग”- *लाल बिहारी यादव – नेता प्रतिपक्ष विधान परिषद*
मंडल ब्यूरो चीफ चंद्रजीत सिंह की रिपोर्ट।

सोनभद्र।ओबरा: भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस वाली सरकार का पोल उस समय खुल गया जब विधान परिषद के नेता प्रतिपक्ष लाल बिहारी यादव ने जनप्रतिनिधियों के साथ ओबरा इंटरमीडिएट कॉलेज के अंदर जाकर उसकी दुर्दशा को नजदीक से देखा। दरअसल शिक्षकों के बीच से नेता प्रतिपक्ष के पद तक का सफर तय करने वाले शिक्षक नेता ने पूरे सोनभद्र के शिक्षकों से व्यक्तिगत रूप से मिलकर उनके दु:ख- दर्द को महसूस करने और समाधान करने का मिशन बना रखा है। शिक्षक नेता को आदिवासी क्षेत्र के गौरवशाली विद्यालय ओबरा इंटरमीडिएट कॉलेज की दुर्दशा की जानकारी विधान परिषद में उठने वाले प्रश्नों से हुई थी। पता चला कि महज 2 वर्षों में छात्र संख्या 1800 से घटकर 380 तक आ गई है। विद्यालय में 90% विषयों के प्रवक्ता हैं ही नहीं। प्राइमरी के शिक्षकों को प्रवक्ता के रूप में दिखाकर खाना पूर्ति की जा रही है । प्रयोगात्मक कार्य बिल्कुल नहीं होता, साफ पानी के लिए लगे RO को खराब हुए 2 साल हो गए बनवाने के लिए पैसा ही नहीं है। नेता प्रतिपक्ष को प्रधानाचार्य ने बताया गया कि विद्यालय का नाम , बोर्ड और फीस पहले जैसा ही है। इस झूठ पर मौके पर उपस्थित भीड़ ने वक्तव्य का भारी विरोध किया । भीड़ ने बताया कि विद्यालय का नाम बार-बार बदला जा रहा है और वर्तमान में ओबरा इंटर कॉलेज की बजाय सातवीं बार नाम बदलकर डीएवी विद्युत पब्लिक स्कूल ओबरा रखा गया है। फीस में 45 गुना तक वृद्धि कर दी गई है। नेता प्रतिपक्ष के यह पूछने पर कि जब विद्यालय डीएवी को दे दिया गया है, तो सरकारी वेतन पाने वाले शिक्षक प्राइवेट संस्था डीएवी में क्यों पढ़ा रहे हैं..?? इस पर प्रधानाचार्य ने गलती का ठीकरा निगम के उच्च प्रबंधन पर फोड़ दिया। नेता प्रतिपक्ष से अपनी बात कहने की कोशिश करने पर प्रधानाचार्य द्वारा शिक्षकों से दुर्व्यवहार किया गया। इस पर नेता प्रतिपक्ष ने चुटकी लेते हुए कहा कि *”आप मिलिट्री से रिटायर हुए हो क्या” ??* विद्यालय में भ्रष्टाचार की पोल उस समय खुल गई, जब कुछ अभिभावकों और समाजसेवियों ने नेता को बताया कि फीस के रूप में लिए जा रहे पैसे का कुछ अता-पता नहीं है। विद्यालय में खेल का सामान खरीदा ही नहीं जा रहा। वाचनालय,परिचय- पत्र, पत्रिका, जलपान, स्काउट ,श्रव्य- दृश्य, रेडक्रॉस आदि के नाम पर लिया जा रहा शुल्क कहां जा रहा है ? इसका कोई जवाब नहीं मिला। निश्चित ही इस भ्रष्टाचार में कुछ शिक्षको की मिलीभगत है। खैर यह तो भविष्य में जांच का विषय है।बिजली का बिल बचाने के नाम पर पंखों का कनेक्शन काट दिया गया है और ज्यादातर कमरों में बल्ब भी नहीं लगाया जा रहा है। पिछले दो वर्षों से खिलाड़ियों को खेल प्रतियोगिता में भेजना भी बंद कर दिया गया है। कुल मिलाकर डीएवी प्रबंधन द्वारा पुराने विद्यार्थियों को परेशान करने, हर काम के लिए बार-बार दौड़ाने, शिक्षकों का उत्पीड़न करने, फीस में भारी बढ़ोतरी के साथ-साथ विद्यालय परिसर के हरे पेड़ों को काटने के सबूत मिले। वह भी तब जब प्रधानमंत्री जी ने” *एक पेड़ अपनी मां के नाम*” का अभियान चला रखा है यह तथ्य भी प्रकाश में आया कि केवल सरकारी धन पाने के लिए विद्यालय का नाम ओबरा इंटरमीडिएट कॉलेज दिखाया जाता है, शेष कामों में इसी विद्यालय को डीएवी के नाम से प्रचारित किया जाता है। इसी क्रम में हर जगह से विद्यालय का नाम मिटा दिया गया है। डीएवी प्रबंधन के प्रति शिक्षकों, ग्रामीण व समाजसेवियों के भारी विरोध के बीच नेता प्रतिपक्ष ने आपसी सहयोग की अपील की है।
इस मौके पर प्रमुख समाजसेवी संजय यादव, पूर्व जिला अध्यक्ष सपा रामनिहोर यादव, योगाचार्य अजय पाठक, अमरेश यादव- प्रधान प्रतिनिधि, त्रिरत्न शुक्लेश जिलाध्यक्ष- शिक्षक सभा, पूर्व जिला अध्यक्ष विजय यादव, रमेश यादव, अशोक यादव, मुकेश जायसवाल, संजय कनौजिया, चंद्रकांत राव, रमेश वर्मा अमरनाथ यादव, छात्र नेता मुकेश जायसवाल आदि समाजसेवी उपस्थित रहे।

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