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कुंवर अनंत नारायण ने निभाई परंपरा, नागरी प्रचारिणी में किया संध्या वंदन

कुंवर अनंत नारायण ने निभाई परंपरा, नागरी प्रचारिणी में किया संध्या वंदन
Indian tv news /ब्यूरो चीफ. करन भास्कर चन्दौली उत्तर प्रदेश
चन्दौली वाराणसी। रविवार की शाम वाराणसी के नागरीप्रचारिणी सभा में एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक परंपरा पुनः जीवित हो उठी, जब कुंवर अनंत नारायण सिंह अपने राजपरिवार और लाव-लश्कर के साथ हाथियों पर सवार होकर वहां पहुंचे और संध्यावंदन की परंपरा निभाई। यह सभा हिंदी भाषा, साहित्य, और देवनागरी लिपि के संरक्षण के लिए समर्पित है। इस परंपरा का संबंध काशी नरेश के लंबे इतिहास से है।पिछले 125 वर्षों से यह परंपरा चली आ रही है कि काशी नरेश नाटी इमली के भरत मिलाप के विश्वप्रसिद्ध लक्खा मेले में सम्मिलित होने के बाद संध्यावंदन के लिए नागरीप्रचारिणी सभा में आते रहे। कुंवर अनंत नारायण ने उसी परंपरा का निर्वहन किया। सभा के प्रधानमंत्री व्योमेश शुक्ल ने उनका स्वागत किया। उन्हें अपने कक्ष में संध्यावंदन करने का अवसर प्रदान किया। इस परंपरा का महत्व इसलिए और बढ़ जाता है, क्योंकि हाल के वर्षों में महामारी और कानूनी अड़चनों के कारण इस परिपाटी में व्यवधान आ गया था।पिछले वर्ष, रंगनिर्देशक और कवि व्योमेश शुक्ल के सभा के प्रधानमंत्री चुने जाने के बाद यह परंपरा नए उत्साह के साथ पुनः शुरू हुई है। काशी नरेश के संध्यावंदन के लिए सभा के प्रधानमंत्री का कक्ष हमेशा की तरह इस्तेमाल किया गया, जो इस परंपरा की एक महत्वपूर्ण कड़ी है। संध्यावंदन के उपरांत व्योमेश शुक्ल ने तिलक लगाकर कुंवर का अभिनंदन किया और उन्हें सभा द्वारा प्रकाशित पुस्तकों का उपहार दिया। बदले में कुंवर ने व्योमेश शुक्ल को सगुन की राशि भेंट स्वरूप प्रदान की। इस पूरे आयोजन ने एक सदी पुरानी परंपरा को जीवंत बनाए रखा और वाराणसी की सांस्कृतिक धरोहर को फिर से जीवित किया

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