शहीद यशवंत सिंह की प्रतिमा पर परिजनों के साथ भाजपा पदाधिकारियों ने किया याद इटारसी में अंग्रेजो से भरी मालगाड़ी को उड़ाया था बम से, महज 22 वर्ष की उम्र में दे दी गई थी फांसी
दमोह – दमोह की धरती शहीदों के खून से लथपथ पढ़ी है। जिन्होंने वक्त आने पर देश और शहर के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए लेकिन अंग्रेजों के आगे झुके नहीं। ऐसे ही है। हमारे दमोह के स्थानीय फुटेरा वार्ड निवासी रहे शहीद यशवंत सिंह जिन्होंने महज 22 वर्ष की उम्र में अपने प्राणों की आहुति दे दी थी। दमोह से सांसद व भारत सरकार के संस्कृति और पर्यटन केन्द्रीय राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रहलाद सिंह पटेल जी के निर्देशन में अमर शहीद यशवंत सिंह की प्रतिमा पर परिजनों के साथ भाजपा पदाधिकारियों ने किया माल्यार्पण और केंडिल प्रज्वलित कर श्रद्धा सुमन अर्पित किए गए।
इस दौरान भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष पं.विधासागर पांडे ने बताया कि आजादी की लड़ाई में दमोह जिले का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है। 1857 की क्रांति में जिले के अनेक ऐसे योद्धा थे जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति दी। भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष पंडित बिहारी लाल गौतम ने बताया कि दमोह शहर के फुटेरावार्ड नंबर 3 गौरीशंकर तिराहा निवासी यशवंत सिंह ठाकुर ने अंग्रेजों से टक्कर ली थी और इटारसी में मालगाड़ी को बम से उड़ा दिया था। जिसमें दो अंग्रेज खलाक हुए थे। इसके बाद यशवंत सिंह को गिरफ्तार कर जेल में डाला गया था और फांसी की सजा दी गई थी। भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष हेमंत छाबड़ा ने बताया कि 15 अगस्त 1987 को गौरीशंकर तिराहा का नाम अमर शहीद यशवंत सिंह चौक के नाम से रखा गया। उन्होंने कहा कि हमे गर्व है कि हमारे दमोह की माटी में अमर शहीद यशवंत सिंह जी का जन्म हुआ था जिनके जन्मदिवस पर हमने श्रंद्धा सुमन अर्पित कर उन्हें याद किया है।
दमोह सांसद प्रतिनिधि डा आलोक गोस्वामी बताते हैं कि अमर शहीद यशवंत सिंह ठाकुर का जन्म 1909 को फुटेरा वार्ड हुआ था और 11 दिसंबर 1931 है। अंग्रेजों से टक्कर में 22 साल की उम्र में ही वे शहीद हो गए थे। गाेस्वामी ने बताया कि पंजाब मेल में खंडवा और माण्डवा स्टेशन के बीच अंग्रेजों से टक्कर में जिसमें दो अंग्रेज खलाक हुए थे जिसके चलते यशवंत सिंह को गिरफ्तार किया गया था और जेल भेजा गया था। खंडवा एवं जबलुपर में अदालती कार्यवाही हुई थी।
दमोह नगरपालिका की अध्यक्ष मालती असाटी ने बताया कि सेठ गोविंद दास जबलपुर के नेतृत्व में अदालती अपील की गई थी। यशवंत सिंह के साथ देवनारायण तिवारी एवं दलपत राव तीनों के लिए जबलपुर सेंट्रल जेल में फांसी दी गई। यशवंत सिंह के शव को दाह संस्कार के लिए परिवार को भी नहीं पता चला था और जेल में ही दाह संस्कार कर दिया गया था। दूसरे दिन इसकी जानकारी लगी थी। जिस पर जनता में आक्रोश पनपा था। भाजयुमो आयाम प्रकोष्ठ के प्रदेश सह संयोजक मनीष सोनी ने बताया।
कि यशवंत सिंह छात्र जीवन से ही निर्भीक थे,उनकी शिक्षा हाई स्कूल वर्तमान महाराणा प्रताप हाई स्कूल में सातवीं पास की थी। पिता ने आगे की पढ़ाई जारी रखने हर संभव प्रयास किया पर यशवंत का मन पढ़ाई में नहीं लगा। रोगी कल्याण समिति के सांसद प्रतिनिधि अनुपम सोनी ने बताया कि रेलवे में केबिन मेन की नौकरी पाकर यशवंत भुसाबल चले गए थे जहां से अवकाश लेकर क्रांतिकारी की राह पकड़ ली थी। फुटेरा वार्ड निवासी भाजपा नेता राकेश दुबे व भाजयुमो जिला अध्यक्ष प्रमोद विश्वकर्मा ने बताया कि उनके दादाजी यशवंत सिंह पांच भाई थी यशवंत सिंह दूसरे नंबर के थे।
यशवंत सिंह के पिता नन्नू सिंह पोस्टमेन थे। भाईयों में शंकर सिंह, गुलाब सिंह, गनपत सिंह और माधव सिंह थे जो सभी स्वर्गवासी हो गए हैं। इनके परिवार में नाती बबलू सिंह ठाकुर भतीजे राजेंद्र सिंह, बहादुर सिंह, किशोर सिंह, प्रताप सिंह, देवी सिंह, जगत सिंह, प्रकाश सिंह, धरम सिंह, वीरेंद्र सिंह हैं। शहीद के परिजनों की माने तो उनके परिवार में किसी को भी सरकारी नौकरी नहीं मिली है। लोगों की पहल पर गौरीशंकर तिराहा का नाम यशवंत सिंह चौक के नाम से रखा गया। दमोह से सांसद व भारत सरकार के संस्कृति और पर्यटन मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने गत वर्ष अमर शहीद यशवंत सिंह चौक का सौंदर्यीकरण करवा कर वहाँ पर अमर शहीद यशवंत सिंह की प्रतिमा स्थापित करवाई जिससे शहीद के परिजनों व वार्ड वासियों के खुशी की लहर व्याप्त है।
ब्यूरो चीफ-लखन ठाकुर//सुनील पटेल जिला दमोह मध्य प्रदेश