जलगाव महाराष्ट्र (संदीप पाटील) – फिलहाल पुरे महाराष्ट्र मे चुनाव की धुम चल रही है. सोशल मीडिया के जरिए लोगों के दिमाग में यह बैठाने की बेताब कोशिश की जा रही है कि बाबू हमारे, ठेला किसी और का. लेकिन यह सब करते हुए कभी-कभी जो नहीं चाहिए उसे लिखकर और जहां नहीं चाहिए वहां शेयर करने से सहानुभूति की बजाय विधानसभा चुनाव की कतार में खड़े नेताओं को बड़ा झटका लगता नजर आ रहा है.
अपने विरोधीयो की और से होनेवाली निम्न गुणवत्ता वाली चड्डी बहादर पोस्ट के कारण चालीसगाव के नागरिकों की सहानुभूति मौजूदा विधायक मंगेश चव्हाण को मिलने लगी है। विरोधी लोग निश्चित रुप से आरोप लगाएं लेकिन पिछले तीन-चार दिनों में कई लोगों ने देखा है कि अगर निचली गुणवत्ता की आलोचना की जाए और बेबुनियाद आरोप लगाए तो उस पर कैसा प्रभाव पड़ता है।इन सभी प्रकारों के कारण सोशल मीडिया पर काम कर रहे विरोधी कार्यकर्ताओ के लिए ‘अब क्या लिखें’ का प्रश्न खड़ा हो गया है।इस तरह से देखें तो चुनाव को आरोप-प्रत्यारोप कहा जाता है. लेकिन कभी-कभी नागरिकों को ऐसा लगता है कि केटली चाय से भी ज्यादा गर्म है और केटली की अत्यधिक गर्मी के कारण करीबी लोग भी दूर होने लगते हैं। यही स्थिति चालीसगाव तालुका में देखने को मिल रही है. लेखों में विपक्षी नेताओं को बदनाम कर उनके करीबी लोगों को अलग-थलग करने की कोशिश की गई। वही लेख जो सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए थे, उनसे विधायक मंगेश चव्हाण पर बमबारी की गई है, और अब ऐसा लगता है कि आम नागरिक विरोधीयो की इस घटिया हरकत से तंग आकर मंगेश चव्हाण के साथ भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने के लिए कतार में लग रहे हैं।
विरोधीपक्ष के लोग आलोचना करने गए थे और अपनों को खो दिया
घटिया लेख लिखकर जिनको बदनाम करना चाहते थे, वे विधायक मंगेश चव्हाण बदनाम तो नहीं हुए, लेकिन जैसे-जैसे जनता को सच्चाई समझ में आरही हैं, अब लगता है कि भारतीय जनता पार्टी के और विधायक मंगेश चव्हाण के प्रती लोगोंमे प्यार बढ रहा है. इसके अलावा निम्न स्तर की आलोचना की बाढ़ आ गई है और मौजूदा विधायक मंगेश चव्हाण अपनी संस्कृति को बचाए रखते हुए इसे नजरअंदाज करते हैं और कार्यकर्ताओं को भी किसीकी निम्न स्तर की आलोचना नहीं करने देते हैं। नागरिकों के मन में उनके लिए एक अलग तरह का सम्मान पैदा होने लगा है क्योंकि वे यह फरमान जारी करते हैं कि उन्हें जो चाहिए वो पोस्ट करने दीजिए। इन सभी प्रकारों के चलते अब खुद विरोधी नेता भी टीका वीरों को सलाह देते हुए कहने लगे हैं कि ‘हे बाबा, अब आलोचना कम करो और कुछ अच्छा लेकर आओ।’
नेता के विषय मे सच्चाई और पार्टी में शामील हो रही जनता की लाईन
इस बारे में बात करते हुए एक कार्यकर्ता ने कहा कि हम हमेशा दादा के विरोधी रहे हैं. हम अपने लोगों से सुनते आ रहे थे कि उनका व्यवहार और वाणी अच्छा नहीं है, इसलिए हम उनके पास नहीं गए. लेकिन जब हम वास्तव में मंगेश चव्हाण जी से अपने काम के लिए मिलते थे तो उनके काम की गति, सबके प्रति अपनापन का भाव और गलती होने पर कर्मचारी को मौके पर ही डांटने का तरीका। यह हमारे मन में घर कर गया. हम इस राय पर पहुंचे कि यह व्यक्ति उतना गलत था ही नहीं, जितना उसे विरोधीयो ने दिखाया था और अगर बिना राजनीति के काम हो, सम्मान मिले और हर अच्छे-बुरे पल में मंगेश चव्हाण जैसे नेता का दृढ़ समर्थन मिले तो आम नागरिक को और क्या चाहिए? ऐसे ही एक सवाल का जवाब देकर नागरिक ने अपनी भावनाएं व्यक्त कीं.
अगर आप आरोप लगाते हैं, आलोचना करते है तो क्या आपको उसे साबित करने की ज़रूरत नहीं है क्या? सोशल मीडिया पर निचली गुणवत्ता के आरोप और आलोचना करना आसान है लेकिन उन्हें साबित भी करना पड़ता है नहीं तो आपके साथ वाले लोग इसकी जांच कर लेंगे और आपको ‘झूठे’ की पदवी देकर आपसे दूर हो जाएंगे. वर्तमान में, लगाए गए आरोप, निचली-गुणवत्ता वाले लेखन, नागरिकों को पसंद नहीं आ रहे हैं, इसलीये वर्तमान में कई गांव के गांधी भाजपा विधायक मंगेश चव्हाण के माध्यम से पार्टी में शामिल हो रहे हैं,ऐसा पार्टी के एक अन्य सदस्य ने कहा।