बिजली कर्मियों का व्यापक विरोध प्रदर्शन कहा की

खबर सहारनपुर से

 

बिजली निजीकरण के विरोध में सहारनपुर में भी बिजली कर्मियों का व्यापक विरोध प्रदर्शन कहा की, निजीकरण का निर्णय वापस होने तक यह संघर्ष जारी रहेगा

 

विभागों के निजीकरण पर विपक्ष खामोश है और जनता लाचार: आखिर विपक्ष कब तोड़ेगा अपना मौन वर्त :

धीरे-धीरे हर एक सरकारी विभाग को निजीकरण के पायदान पर घसीटा जा रहा है,विपक्ष खामोश है और जनता लाचार है । जिस प्रकार से लगातार निजीकरण की रफ्तार बढ़ रही है उसी प्रकार से धीरे-धीरे महंगाई की मार झेलने के लिए भी जनता को और तैयार रहना होगा । जनता किसी भरम में ना रहे की यह निजीकरण का बोझ केवल सरकारी कर्मचारियों पर ही पड़ेगा, अपितु जनता भी इससे अछूती नहीं रहेगी, लगातार महंगाई जन्म लेगी बिजली यूनिट दरों में और अधिक इजाफा होगा, यहां तक की आज भी ₹5 से ₹7 तक मिलने वाली बिजली यूनिट भी कंपनियां अपने मन माने दामों पर बेचेंगी, अगर बिजली का निजीकरण होता है तो जनता को और अधिक महंगी बिजली यूनिट का भुगतान करने हेतु अपनी जेब और कमर कसनी होगी, क्योंकि विपक्ष खामोश है और जनता लाचार है, विपक्ष को चाहिए निजीकरण की इस रोकथाम के लिए प्रदेश सरकार से हस्तक्षेप करते हुए बिजली यूनिट वृद्धि के संदर्भ में जनता की समस्या को सरकार के समक्ष रखे. आपको बता दें । बिजली का निजीकरण करने के लिए सलाहकार नियुक्त करने का टेंडर प्रकाशित होने के बाद से बिजली कर्मियों का गुस्सा लगातार बढ़ता जा रहा है । बिजली कंपनियों के निजीकरण करने से पहले ही संविदा कर्मियों की छंटनी किए जाने से यह गुस्सा और बढ़ गया है । पदाधिकारियो का मानना है अगर बिजली का निजीकरण होता है तो बड़े पैमाने पर बिजली बिजली कर्मचारी और अभियंताओं की भी छंटनी होना तय है, प्रदेश के उपभोक्ताओं को और अधिक महंगी दरों पर बिजली यूनिट मिलने लगेगी, कंपनियां अपनी मनमानियाँ करेगी । देश भर में लाखों बिजली कर्मचारी व्यापक विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। राजधानी लखनऊ में हजारों की तादाद में बिजली कर्मियों ने शक्तिभवन को घेर लिया और निजीकरण के विरोध में जबर्दस्त विरोध प्रदर्शन किया। संघर्ष समिति ने ऐलान किया है कि बिजली के निजीकरण का निर्णय वापस होने तक लगातार संघर्ष जारी रहेगा। 24 एवं 25 जनवरी को बिजली कर्मी पूरे दिन काली पट्टी बांधकर काम करेंगे, और भोजनावकाश या कार्यालय समय के उपरान्त विरोध सभायें भी करेंगे। 25 जनवरी को संघर्ष समिति संघर्ष के नये चरणों की घोषणा करेगी। नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रीसिटी इम्प्लॉइज एण्ड इंजीनियर्स द्वारा लिये गये निर्णय के अनुसार घंटाघर बिजलीघर स्थित सहारनपुर में बिजली कर्मचारियों, जूनियर इंजीनियरों और अभियन्ताओं ने व्यापक विरोध प्रदर्शन किया। इसके अलावा निर्णय के अनुसार उ.प्र में हो रही बिजली के निजीकरण की प्रक्रिया का विरोध करने हेतु देश के समस्त प्रान्तों की राजधानियों में भी विशाल प्रदर्शन किये गये। उल्लेखनीय है कि शक्तिभवन मुख्यालय में निजीकरण हेतु ट्रांजैक्शन कन्सलटेंट नियुक्त करने हेतु प्री-बिडिंग कॉफ्रेंस 11ः30 बजे होनी थी। बिजली कर्मियों के शक्तिभवन घेर लेने के बाद शक्तिभवन में कोई प्री-बिडिंग कॉफ्रेंस की बैठक नहीं हो पायी। संघर्ष समिति ने कहा कि यह पता चला है कि पॉवर कारपोरेशन के चेयरमैन ने किसी अन्य स्थान पर अपने चहेते कंसलटेंट्स के साथ गुपचुप मीटिंग की है। संघर्ष समिति ने कहा कि चूंकि प्री-बिडिंग कॉफ्रेंस हेतु निर्धारित स्थान शक्तिभवन मुख्यालय घोषित किया गया था अतः किसी अन्य स्थान पर की गयी कोई भी मीटिंग नियमानुसार पूरी तरह से असंवैधानिक है। संघर्ष समिति ने कहा है ऐसा लगता है कि पॉवर कारपोरेशन के चेयरमैन निजीकरण की इतनी जल्दी में हैं कि उन्हें वैधानिक प्रक्रिया का भी ज्ञान नहीं रहा। यह समाचार मिला है कि किसी अन्य स्थान पर उन्होंने कुछ चुनिंदा कन्सल्टेंट्स से कोई गुप्त बैठक की है। उन्होंने कहा है उ.प्र जैसे देश के सबसे बड़े प्रान्त में 42 जनपदों की विद्युत वितरण व्यवस्था का निजीकरण यदि इस प्रकार कुछ पूर्व निर्धारित निजी घरानों के साथ प्रक्रिया को ताक पर रखकर किया जा रहा है तो यह बहुत बड़े घोटाले का संकेत दे रहा है। बरहाल विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति उत्तर प्रदेश ने भी ऐलान कर दिया है कि जब तक निजीकरण का निर्णय वापस नहीं लिया जाता है, तब तक यह संघर्ष जारी रहेगा किसी भी परिस्थिति में बिजली का निजीकरण बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। प्रदर्शन में शामिल एसडीओ कार्तिक गुप्ता, एसडीओ आदित्य कुमार, एसडीओ रोबिन शर्मा, एसडीओ अंकित कुमार, एसडीओ राजेंद्र कुमार, एसडीओ अक्षय जैन, एसडीओ सुंदर पाल, इनके अलावा टीजीटू संगठन के उपाध्यक्ष अनिल कुमार, नवीन कुमार, नवल किशोर,अन्य लोग भी शामिल रहे।

 

रिपोर्ट रमेश सैनी सहारनपुर इंडियन टीवी न्यूज़

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