
ब्यूरो चीफ मनोज भट्ट जिला बस्तर छत्तीसगढ़
जगदलपुर (बस्तर) — बस्तर अंचल में लंबे समय से बोरेल व्यापार से जुड़े स्थानीय व्यवसायियों ने सोमवार को पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंचकर एक ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन के माध्यम से उन्होंने बाहरी राज्यों से आए व्यापारियों की गतिविधियों पर गंभीर आपत्ति जताते हुए प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की।
ज्ञापन में बताया गया कि बस्तर के सैकड़ों परिवारों की आजीविका बोरवेल व्यवसाय पर निर्भर है, जो वर्ष के लगभग आठ महीनों तक चलता है। लेकिन हाल के वर्षों में अन्य राज्यों से आने वाले व्यापारी, जो न तो स्थानीय हैं और न ही उनके पास स्थायी पहचान है, बाजार में अनियंत्रित रूप से सक्रिय हो गए हैं। इन व्यापारियों के कारण न केवल स्थानीय कारोबार प्रभावित हो रहा है, बल्कि आदिवासी किसानों का भी शोषण हो रहा है।
व्यवसायियों ने आरोप लगाया कि बाहरी व्यापारी कम कीमत पर भोले भाले आदिवासी ग्रामीण एजेंट को कम दर का लालच देकर उनसे काम निकलवा कर उन्हें पैसे भी नहीं देते और धन की मांग करने पर दादागिरी करने पर उतारू हो जाते हैं अंदरूनी क्षेत्र मे इनके द्वारा किए गए कार्य भी खराब गुणवत्ता वाले होने के कारण दोबारा यहां के स्थानीय व्यवसाय को जाकर उन खराब बोर को सुधार करना पड़ता है जिससे बेचारे गरीब किसान भी अधिक मूल चुकाते हैं और वह भी कई बार निम्न गुणवत्ता की सामग्री एकत्र कर बाजार में बेचते हैं, जिससे स्थानीय उत्पाद की विश्वसनीयता पर भी असर पड़ रहा है। इस स्थिति के चलते स्थानीय व्यापारियों को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है और उनकी गाड़ियों के संचालन पर भी प्रतिकूल असर पड़ा है।
संघ की चेतावनी: यदि समय रहते प्रशासन ने ठोस कदम नहीं उठाए, तो यह संकट लगभग 1,000 से अधिक परिवारों की रोज़ी-रोटी पर असर डाल सकता है।
बस्तर बोरवेल संघ ने मांग की है कि बाहरी व्यापारियों की पहचान की जाए, उनकी गतिविधियों की जांच हो और आवश्यक होने पर उन पर प्रतिबंध लगाए जाएँ, ताकि स्थानीय व्यवसाय और आदिवासी समुदाय दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
इस दौरान संघ के कई सदस्य उपस्थित रहे और उन्होंने पुलिस अधीक्षक से इस विषय में शीघ्र कार्रवाई का आश्वासन मांगा।