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खिदमत ए खल्क ने वक्फ कानून 2025 को बताया संविधान विरोधी

नरेश सोनी

इंडियन टीवी न्यूज

ब्यूरो हजारीबाग

 

खिदमत ए खल्क ने वक्फ कानून 2025 को बताया संविधान विरोधी

 

हजारीबाग : खिदमत ए खल्क (ज़ेरे सदारत तंजीमुल उलमा) ने वक्फ संशोधन कानून 2025 को पूरी तरह से संविधान विरोधी करार देते हुए इसे मुस्लिम समुदाय के धार्मिक अधिकारों पर सीधा हमला बताया है। संगठन ने कहा कि यह कानून, जो 8 अप्रैल 2025 से लागू हो चुका है, वक्फ बोर्ड की स्वायत्तता को कमजोर करता है और धार्मिक स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।

 

संगठन ने कानून की पांच प्रमुख आपत्तियों को रेखांकित किया है

 

1. वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति धार्मिक संस्थाओं की स्वतंत्रता पर हमला है।

2. कलेक्टर द्वारा वक्फ संपत्तियों का सर्वे और सरकारी संपत्तियों को वक्फ से हटाने का प्रावधान संपत्तियों की सुरक्षा को खतरे में डालता है।

3. वक्फ घोषित करने के लिए इस्लाम को पांच वर्षों तक मानने की शर्त को अव्यवहारिक और भेदभावपूर्ण बताया गया है।

4. केंद्रीय डेटाबेस और पंजीकरण की अनिवार्यता के जरिए सरकार वक्फ संस्थानों पर नियंत्रण बढ़ाना चाहती है।

5. “वक्फ बाय यूजर” को समाप्त करना ऐतिहासिक मस्जिदों और कब्रिस्तानों के अस्तित्व पर सवाल खड़े करता है।

संगठन ने केंद्र सरकार से इस कानून को तत्काल रद्द करने और व्यापक संवाद की मांग की है। खिदमत ए खल्क ने ऐलान किया है कि वे शांतिपूर्ण विरोध, याचिकाओं और लोकतांत्रिक तरीकों से अपनी आवाज़ बुलंद करते रहेंगे।

 

इस मौके पर मुफ्ती अब्दुल जलील शहर काजी, मुफ्ती महबूब आलम मिस्बाही, मौलाना गुलाम वारिस, मौलाना अब्दुल वाहिद , मौलाना मोहम्मद हेशाम अहमद, मौलाना शकील , कारी एकराम, जफरुल्ला सादिक ,मोहम्मद फिरोज़ खलीफा,साजिद अली खान, परवेज अहमद, टिंकू खान, इरफान अहमद उर्फ काजू, मो अलाउद्दीन APCR, कमाल अंसारी, सरफराज अहमद, कमाल कुरैशी, ग़ालिब अहमद, जमशेद खान,

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