ब्यूरो चीफ सुंदरलाल जिला सोलन
यूं तो पूरे प्रदेश में आर्थिक स्थिति बेहद खराब है। प्रदेश सरकार के अपने संसाधन कम होने पर प्रदेश सरकार को केन्द्र सरकार द्वारा दी जाने वाली आर्थिकी पर निर्भर रहना पड़ता है ।अब यदि प्रदेश के सरकारी विभागों की ओर नजर दौड़ाई जाए तो हर कार्यालय में यही देखा ओर सुना जा रहा है कि विकास कार्यों में धन राशी बहुत अधिक कमी है इस लिए विकास कार्यों में गति ला पाना मुश्किल है । यदि लोकनिर्माण विभाग व जल शक्ति विभाग के कार्यालयों में पता किया जाए तो विभागों की विकास कार्यों की इतनी देन दारी हो चुकी हैं कि अब कोई भी ठेकेदार नए कार्य को करने के लिए राजी नहीं है । बहुत से निजी ठेकेदार बैंकों के कर्ज के तले ऐसे दब गए हैं कि उन्हें अपनी रोटी के लाले पड़ चुके हैं । अधिकाशं ठेकेदारों का कहना है कि उन्हें पिछले दो वर्षों से किये कार्यों का भुगतान नहीं किया गया है। वह बैंकों से कर्ज लेकर विकास कार्यों में खर्च कर चुके हैं । परन्तु विभागों से कोई भुगतान नहीं किया गया । सरकारी ट्रेज़री बंद करने से बिल वापिस विभागों को लौटा दिये जा रहे हैं । आर्थिक जानकारों का कहना है कि यह स्थिति उन्होंने पहले कभी नहीं देखी थी जैसी प्रदेश की वर्तमान सरकार की हुई है यदि वर्ष 2012 की ओर नजर दौड़ाई जाए तो प्रदेश के बजट में जो विकास कार्यों की स्वीकृति मिलती थी वह अब घट कर 20 प्रतिशत के बराबर रहे चुकी हैं । यदि यही स्थिति रही तो दिसम्बर महीने में पंचायत चुनाव करा पाना भी मुश्किल होगा क्योंकि आर्थिक तंगी से जूझ रहे सरकार को यह मुश्किल हो जायेगा । सड़कें,पेयजल योजना की मरम्मत करना भी मुश्किल है बिना धन के कोई भी ठेकेदार उधारी में कार्य करने को राजी नहीं है । हालांकि प्रदेश सरकार केंद्र से आर्थिक मदद की गुरहाहा कर चुकी किंतु कोई मदद नहीं मिली है । चुनावी वादे सरकार को भी पूरा करना मुश्किल हो रहा है। उधर विकास कार्यों में गति में विराम लग गया है। यदि यही स्थिति रही तो कर्मचारियों का वेतन भी मिल पाना मुश्किल हो सकता है लोकनिर्माण विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने अपने नाम को न प्रकाशित की शर्त पर कहा कि उसने 35 वर्ष सेवा में पहली बार ऐसी स्थिति देखी कि कई कई महीनों से सरकारी ट्रेज़री बंद है जिसकी वजह से सरकारी भुगतानों को रोका गया है। बरहाल कुछ भी हो प्रदेश सरकार की आर्थिक स्थिति बेहद खराब के चलते ओर नाजुक हो सकती हैं।