
खैरथल -तिजारा। अंधकार में डूबा मांघा का माजरा अब उजाले की आस में है। गांव के बच्चे स्कूल का सपना देख रहे हैं, पर आज भी उन्हें शिक्षा का अधिकार नहीं मिल पाया। मां-बाप मजदूरी करते हैं, और बच्चे—जिन्हें किताबों में होना चाहिए—खेतों और घरों के काम में लगते हैं।
“शिक्षा का अधिकार सबका है, फिर मांघा का माजरा क्यों पीछे?” यह सवाल अब गांव की हर गली में गूंज रहा है।
गांववासियों की मांग है कि प्रशासन यहां प्राथमिक विद्यालय खोले, ताकि उनके बच्चों का भविष्य संवर सके। यह केवल एक स्कूल की बात नहीं, यह एक पूरी पीढ़ी के जीवन की दिशा तय करने का प्रश्न है।
“अंधकार में डूबा मांघा का माजरा: शिक्षा के बिना भविष्य का सपना टूट रहा है, कब तक?”
गांव में शिक्षा का अभाव: बच्चों का भविष्य दांव पर
जिला खैरथल तिजारा की ग्राम पंचायत तीगांवा क्षेत्र के गांव मांघा का माजरा में शिक्षा की स्थिति अत्यंत दयनीय है। लगभग 4000 की आबादी वाले इस गांव में एक भी विद्यालय नहीं होने से गरीब परिवारों के बच्चों का भविष्य खतरे में है।
बच्चों का दर्द
मांघा का माजरा के बच्चे शिक्षा का सपना देख रहे हैं, लेकिन विद्यालय नहीं होने के कारण उनका सपना टूट रहा है। बच्चे दूरस्थ क्षेत्रों में जाने को मजबूर हैं, जो उनके लिए बहुत मुश्किल है।
ग्रामीणों की मांग
स्थानीय निवासियों ने कई बार प्रशासन को इस मुद्दे से अवगत कराया है, लेकिन अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। ग्रामीणों ने सरकार से मांग की है कि जल्द से जल्द गांव में एक विद्यालय खोला जाए ताकि बच्चों को शिक्षा का अधिकार मिल सके और उनका भविष्य संवर सके।
सरकार की जिम्मेदारी
अब समय आ गया है कि सरकार अपनी जिम्मेदारी को समझे और मांघा का माजरा में जल्द से जल्द एक विद्यालय खोले। बच्चों का भविष्य दांव पर लगा है, और यह समय कार्रवाई का है।
उच्च अधिकारियों से आग्रह है कि वे मांघा का माजरा की इस पुकार को सुनें और तत्काल ठोस कदम उठाएं।
जिला खैरथल -तिजारा जयबीर सिंह ब्यूरो रिपोर्ट इंडियन टीवी न्यूज़