बॉम्बे हाईकौर्ट का फैसला:प्राइवेट क्लिनिक में कोरोना मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टर्स की मौत के बाद परिजनों को नहीं मिलेगा 50 लाख रुपए का मुआवजा
मंगलवार को न्यायमूर्ति एस जे काथावाला व न्यायमूर्ति रियाज झागला की खंडपीठ ने यह फैसला दिया है।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में स्पष्ट किया है कि कोरोना के चलते जान गंवाने वाले सभी निजी डॉक्टर प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (PMGKP) के दायरे में नहीं आते है। इस योजना के अंतर्गत कोरोना की वजह से जान गंवाने वाले डॉक्टरों के परिजनों के लिए 50 लाख रुपए के मुआवजे का प्रावधान किया गया है।
मंगलवार को न्यायमूर्ति एस जे काथावाला व न्यायमूर्ति रियाज झागला की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि जिन निजी डॉक्टरों को कोरोना की ड्यूटी के लिए सरकार की ओर से आग्रह भेजा गया है और नियुक्त किया गया है। वहीं डाक्टर PMGKP के दायरे में आते हैं। यह बात कहते हुए खंडपीठ ने कोरोना संक्रमण की वजह से जान गंवाने वाले प्राइवेट डॉक्टर की पत्नी किरण सुरगाडे की ओर से दायर याचिका को खारिज कर दिया।
क्लिनिक को कोरोना संक्रमितों के इलाज की नहीं थी मंजूरी
मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने पाया कि याचिकाकर्ता के पति के क्लीनिक को कोरोना के इलाज के रूप में मान्यता नहीं दी गई थी। उन्हें सरकार की ओर से कोरोना के मरीजों के उपचार करने के लिए भी नियुक्त नहीं किया गया था। इसलिए वे मुआवजे के लिए पात्र नहीं हैं। वे मुआवजे को लेकर बनाई गई योजना के दायरे में नहीं आते हैं।
याचिकाकर्ता की ओर से यह तर्क रखा गया
हालांकि, याचिकाकर्ता के वकील ने दावा किया था कि केंद्र सरकार निजी व सरकारी डॉक्टर के बीच कोई भेदभाव नहीं करती है। वहीं एडिशनल सालिसिटर जनरल अनिल सिंह ने याचिका का विरोध किया। वहीं अन्य प्रतिवादियों ने कहा यदि याचिकाकर्ता की मांग को स्वीकार किया गया तो अनावश्यक रूप से राजस्व का बोझ बढ़ेगा और मुआवजे के आवेदनों की बाढ़ आ जाएगी।
महिला ने याचिका में यह की थी मांग
याचिका में सुरगाडे ने दावा किया था कि उसके पति आयुर्वेदिक डॉक्टर थे। नई मुंबई इलाके में उनका निजी दवाखाना था। कोरोना संक्रमण के चलते मेरे पति ने अपना क्लिनिक बंद कर दिया था किंतु इस बीच 31 मार्च 2020 को नवी मुंबई महानगरपालिका के आयुक्त ने उन्हें एक नोटिस जारी किया। जिसमें मेरे पति को क्लिनिक खोलने का निर्देश दिया गया था। नोटिस में कहा गया था कि यदि वे क्लिनिक नहीं खोलते है तो उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के तहत मुकदमा चलाया जाएगा।
महिला का आरोप-नगर निगम ने जबरदस्ती खुलवाया क्लीनिक
याचिका के मुताबिक, इस नोटिस के बाद याचिकाकर्ता के पति ने अपना क्लीनिक खोला था। इस बीच वे मरीजों के इलाज के दौरान कोरोना वायरस के संपर्क में आ गए जिसके चलते उनकी मौत हो गई।
पति के निधन के बाद याचिकाकर्ता ने नई मुंबई मनपा के पास प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज (पीएमजीकेपी) के तहत 50 लाख रुपए के मुआवजे की मांग की थी लेकिन नई मुंबई मनपा व न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी ने याचिकाकर्ता की इस मांग पर यह कह कर विचार करने से इंकार कर दिया कि उसके पति ऐसे किसी अस्पताल के डॉक्टर नहीं थे जिसे कोरोना मरीज के इलाज के लिए निर्धारित किया गया था। इसके बाद सुरगाडे ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
Bureau Chief
साकिब हुसैन
INDIAN TV NEWS
मुंबई
www.indiantvnews.in
