बाढ़ बारिश जैसे हालातों के कारण पूरे देश में चिकनगुनिया, डेंगू मलेरिया जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है। ऐसे में चेतावनी देते हुए सरकार ने कहा है कि बढ़ते खतरे को कम करने के लिए यदि आपको कोई भी लक्षण नजर आता है तो सावधानी जरुर बरतें। कई इलाकों में मलेरिया के केस भी दिखे हैं। जलवायु में परिवर्तन होने के कारण मच्छर बढ़ रहे हैं। ऐसे में एक्सपर्ट्स ने भी इनसे बचने के लिए अलर्ट जारी किया है।ओटावा यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों और मलेरिया का अध्ययन करने वाली प्रोफेसर और शोधकर्ता मनीषा कुलकर्णी ने मलेरिया के खतरे पर चिंता व्यक्त की है।
अध्ययन में सामने आए नतीजे
कुलकर्णा ने 2016 में सामने आए एक अध्यनन का नेतृत्व किया और उसमें यह पाया गया कि मलेरिया फैलाने वाले मच्छरों के लिए निवास स्थान एक दशक में सैंकड़ों वर्ग किलोमीटर तक बढ़ गया था। ऐसी ही घटनाएं देश की कई जगहों पर देखी गई हैं जिसमें पक्षियों को कम ऊंचाई वाले आवासों से भी बाहर निकाल दिया था। 2021 में मलेरिया के कारण 96ः मौतें हुई थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2021 में मलेरिया के कारण मौत के 247 मिलियन मामले दर्ज किए थे। वहीं 2002 और 2021 के बीच मलेरिया के कारण वैश्विक मौतों के कारण 29ः गिरावट आई थी लेकिन अब फिर से संख्या बढ़ गई है। खासकर अफ्रीराक में पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मौतों के लिए मलेरिया ही 80ः जिम्मेदार है।
लंबे समय से बारिश के कारण पनपते हैं ऐसे मच्छर
बदलती जलवायु, बढ़ते तापमान के मध्यम से मच्छरों को फायदा नहीं होता लेकिन लंबे समय तक यदि बारिश रहे तो ऐसा मौसम मच्छरों के लिए आवास का कारण बन सकता है। यह मच्छर सिर्फ पानी में ज्यादा पनपते हैं। इसके अलावा सूखे कंटेनरों में रखा पानी भी मच्छरों के पनपने का कारण बन सकता है। शोधकर्ताओं ने 2000 के दशक की शुरुआत में इथियोपिया के हाई लैंड्स में मलेरिया के बढ़ने मामलों में कमी दर्ज की थी। हालांकि अब दोबारा से फैल रहा मलेरिया परेशानी का कारण बन सकता है।
कई जिलों में मिले मरीज
इसके अलावा लगातार बारिश के कारण छतीसगढ़ के बस्तर जिले के दरभा ब्लॉक में भी मलेरिया के मरीज पाए गए हैं। हालांकि स्वास्थ्य विभाग इनकी जांच कर रहा है। 187 मरीजों में मलेरिया के लक्षण भी दिखे हैं। ऐसे में बदलते मौसम में थोड़ी सावधानी बरतें।