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अमित भटनागर आम आदमी पार्टी प्रत्याशी बिजावर के नेतृत्व में किया गया जल सत्याग्रह

सरकार की मनमानी के खिलाफ हजारों किसानों ने किया जल सत्याग्रह, वोट बन्दी, चूल्हा बन्दी, ग्राम बन्दी जैसे कठोर कदम की घोषणा।

मुख्यमंत्री अपनी सरकार द्वारा केन बेतवा प्रभावितों पर हो रहे अत्याचार पर भी ध्यान दें : अमित भटनागर

बिजावर, छतरपुर 6 अक्टूबर: केन बेतवा लिंक प्रभावित हजारों किसानों ने परियोजना में सरकार की की मनमानी व अपने संवैधानिक अधिकारों की हत्या के खिलाफ जल सत्याग्रह किया. इसमें बड़ी संख्या में आदिवासी व महिलाएं थे, छतरपुर, पन्ना जिले के सभी 22 गांव के प्रभावित हजारों किसानो ने  समाजिक कार्यकर्ता अमित भटनागर के नेतृत्व में परियोजना के मुख्य बांध, दौड़न बांध का जहाँ निर्माण होना है ठीक उसी जगह पर जल सत्याग्रह किया, आंदोलन के  नेतृत्वकर्ता अमित भटनागर ने बताया कि उक्त परियोजना में पहले 22 गांव थे अभी इसमें तीन गांवों और जुड़ गए हैं अब प्रभावित ग्रामों की संख्या 25 हो गई है, परियोजना में 25 गांव के 25 हजार  के लगभग लोगों का जीवन सरकार की मनमानी के चलते अंधकारमय होने जा रहा है.  ग्रामीणों को परियोजना संबंधी कोई भी जानकारी नहीं दी जा रही है, प्रभावितों के संवैधानिक अधिकारों की हत्या की जा रही है. अमित का कहना है कि जब तक पुनर्वास नहीं हो जाता किसी भी परियोजना का शिलान्यास करना मानवीय दृष्टि से ही नहीं कानून की दृष्टि से भी अनुचित है. जल सत्याग्रह में शामिल किसानों ने प्रधानमंत्री जी से, जब तक किसानों को न्याय नहीं मिल जाता तब तक उक्त परियोजना का शिलान्यास न करने की अपील की है. सरकार की मनमानी से 22 गांव के किसानों ने महापंचायत कर वोट बन्दी, चूल्हा बन्दी, ग्राम बन्दी जैसे कठोर कदम उठाने की घोषणा भी कर दीं है. अमित भटनागर का कहना है कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी परियोजना में हो रहे लाभों के बारे में तो बढ़ा चढ़ा कर बताते हैं परंतु परियोजना में उनकी सरकार द्वारा आदिवासियों पर, किसानों पर, महिलाओं पर जो अत्याचार किया जा रहे हैं उसे तरफ ध्यान क्यों नहीं देते?. परियोजना प्रभावित पालकौहा गांव के ग्याशी रैकवार का कहना है कि यदि मुख्यमंत्री जी ने पीड़ित किसानों से गंभीरता पूर्वक चर्चा नहीं की और उनकी समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया तो हम अपने तीव्र आंदोलन का पालन गांव में करना प्रारंभ कर देंगे, की गई घोषणा के अनुसार वोट बन्दी, चूल्हा बन्दी, ग्राम बन्दी कार्यक्रमों को मूर्त रूप देना प्रारंभ कर देंगे.

*प्रधानमंत्री फिर नही कर पाएं  शिलान्यास*

गौरतलब है कि केन बेतवा लिंक परियोजना केंद्र सरकार की एक अति महत्वाकांक्षी परियोजना है, जिसका लोकार्पण प्रधानमंत्री जी द्वारा कई बार करने की घोषणा तो की गई परंतु किसानों के आक्रोश 52 के तीव्र आंदोलन के कारण सरकार को हर बार बैक फुट पर आना पड़ा. अब एक दो दिन में प्रदेश में  आचार संहिता लग जाने से उक्त परियोजना का शिलान्यास फिलहाल टल गया है.

*स्थानीय जनप्रतिनिधि शामिल रहे, नहीं काम आया प्रशासन का भय*
प्रशासन द्वारा किसानों के आंदोलन को कुचलने का हर संभव प्रयास किया गया, परियोजना की जानकारी मांगने पर प्रशासन द्वारा दो बार लाठीचार्ज भी हो चुका है प्रशासन द्वारा खरयानी सरपंच रतिराम अहिरवार को आंदोलन को विक्की सहयोग का झूठा आरोप लगाकर धारा 40 की कार्यवाही करते हुए हटा दिया गया था, जिसके बाद से सरपंच, उप सरपंच, जनपद सदस्य व गांव के प्रभावशाली लोग आंदोलन से बचने लगे थे, परंतु आज के कार्यक्रम में सभी सरपंच, उप सरपंच, एवं जनप्रतिनिधियों ने खुलकर भाग लिया व अपनी बात रखते हुये चूल्हा बन्दी, ग्राम बंदी, वोट बन्दी जैसे सुझाव रखे व उनका खुलकर समर्थन भी किया.

*ये रहे शामिल*

जल सत्याग्रह व महापंचायत में सामाजिक कार्यकर्ता अमित भटनागर, भुवन विक्रम सिंह केसु राजा, भगवान सिंह सरपंच सुकवाहा,चतुर सिंह उपसरपंच सुकवाहा,समीक्षा पुष्पेन्द्र सिंह जनपद सदस्य सुकवाहा, सावित्री जगन्नाथ यादव सरपंच पलकौहा, मुना नत्थू रैकवार उपसरपंच पलकौहा, प्रभु यादव उपसरपंच ढोडन, हरदयाल लोधी सरपंच कदवारा, चंदू अहिरवार उपसरपंच कदवारा, रतिराम अहिरवार सरपंच खरयानी, भगवानदास आदिवासी जनपद सदस्य ककरा(नरौली), करन सिंह, ब्रजेंद्र मिश्रा, महेश विश्वकर्मा, दसरथ रैकवार, ज्ञासी रैकवार,चूरा अहिरवार, वृंदावन पाल, गौरीशंकर यादव, तुलसी आदिवासी, अयोध्या शुक्ला, बब्बू सिंह यादव, पवन यादव, इमरत लाल अहिरवार, कोमल कुशवाहा, मुन्ना यादव शीला, राखी विश्वकर्मा,कमली, सुनती, बबली, प्रभा, कला, काशी, हरबाई, शीतल, बैनीबाई, भूरि, रमकी, सुनना, प्यारी, गौरीबाई, लक्षमी, यशोदा, पुनिया, खुममी, तारा, बिमला, गुलाबबाई, कट्टू, शहर बड़ी संख्या में हजारों महिला पुरुष सहभागी हुए.

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