सम्पूर्ण सृष्टि का केंद्र यज्ञ :- गोपाल पाण्डेय
‘अयं यज्ञो विश्वस्य भुवनस्य नाभिः।
(अथर्ववेद 9.15.14)
यज्ञ को संसार की सृष्टि का आधार बिंदु कहा है।
‘ यज्ञ’ भारतीय संस्कृति के अनुसार ऋषि-मुनियों द्वारा जगत को दी गई ऐसी महत्वपूर्ण देन है जिसे सर्वाधिक फलदायी एवं समस्त पर्यावरण केन्द्र ‘इको सिस्टम’ के ठीक बने रहने का आधार माना जा सकता है।
यही है वह पुण्य प्रवृत्ति, जिसके कारण नर पशु को नर-नारायण बनने का अवसर मिलता है। अग्नि में पकाए जाने पर जिस तरह सोने की कलुषता मिटती और आभा निखरती है, उसी प्रकार यज्ञ दर्शन को अपनाकर मनुष्य उत्कृष्टता के शिखर पर चढ़ता और देवत्व की ओर अग्रसर होता है।
सम्पूर्ण सृष्टि का केंद्र यज्ञ :- गोपाल पाण्डेय
