ब्यूरो चीफ जिला सोलन सुन्दरलाल
वर्षों का इतिहास संजोए हुए है प्राचीनतम नाहरी बावड़ी ।
कसौली ,कसौली छावनी के साथ लगती ग्राम पंचायत नाहरी के मुख्यालकिय में स्थित प्राचीनतम नाहरी बावड़ी ,वर्षों का इतिहास अपने अंदर संजोए हुए है ।आज भी इस प्राचीनतम बावड़ी का शीतल गुणकारी पेयजल ग्रामीणों व आंगतुकों के लिए प्रदान कर रही है ।नाहरी गांव के बुजुर्ग का कहना है कि वर्षों पहले से हम बुजुर्गों से सुनते आ रहे हैं कि इस क्षेत्र में कभी पानी की किल्लत हुआ करती थी व ग्रामीणों को पेयजल के लिए दूर दराज के क्षेत्रों में जाना पड़ता था ।कहते हैं कि वर्षों पहले यहां पर किसी ग्रामीण महिला की कोख से सांप ने जन्म लिया ।महिला को पेयजल की आपूर्ति के लिए रोजाना दूर क्षेत्र से पानी सिर पर उठाकर लाना पड़ता था ।मा की समस्या को देखकर सांप ने माता से कहा कि जिस दिन मेरा अन्तिम समय आएगा तो मैं बिल में प्रवेश करूँगा तब मुझे खींच लेना पानी की समस्या खत्म हो जाएगी ।एक दिन महिला खेतों में कार्य कर रही थी व घर पर बेटी घर का कार्य करने लगी थी साथ सांप भी रसोई में चूल्हे के साथ कुंडली मार के सोया हुआ था । लड़की जल्दी जल्दी कार्य करते हुए गर्म पानी का बर्तन सांप पर रख दिया सांप बुरी तरह जख्मी हो गया धोखे से हुई गलती से लड़की घबरा गई व विलाप करते हुए मां के पास दौड़ गई खबर पाते ही महिला घर की ओर दौड़ी इतने में जख्मी सांप घर से बाहर रेंगने लगा महिला भी उसके पीछे विलाप करते हुए जाने लगी ।थोड़ी दूर जाने पर ही सांप बिल में प्रवेश करने लगा तभी महिला को सांप की बात याद आई महिला ने बिल में प्रवेश हुए सांप को पूंछ से खींच लिया उसी समय वहां पेयजल की धारा अविरल बहने लगी । सांप के वरदान से नाहरी ग्राम में पानी की विकट समस्या का समाधान हो गया ।आज भी इस बावड़ी से निर्मल शीतल पेयजल की धारा निकल रही है व ग्रामीणों व यात्रियों को पानी उपलब्ध करा रही है ।वर्ष 1924 में बावड़ी का निर्माण रलाराम बालाराम बन्धुओं ने करवाया ।कसौली के मुरलीधर अग्रवाल ने बावड़ी का विकास कर आधुनिक बावड़ी ,एक कमरा व कुछ टँकीयों का निर्माण किया है ।