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“कहीं मंदिरो में दीया नहीं,कहीं मस्जिदों में दुआ नहीं!

“कहीं मंदिरो में दीया नहीं,कहीं मस्जिदों में दुआ नहीं!

मेरे शहर में हैं खुदा बहुत,मगर आदमी का पता नहीं”(शकील आज़मी)

नगर निगम सहारनपुर के मेला गु घाल के कार्यक्रम महफिल ए मुशायरा ने कामयाबी के सारे रिकार्ड तोड़े सुबह 5.00 बजे अज़ान होने तक मुशायरा सुनने देखने के लिए पूरे जिले और आस पास के गांवो से हजारों श्रोताओं की भारी भीड़ रही,पार्षद और कार्यकारणी सदस्य मंसूर बदर और इज़हार मंसूरी और सईद सिद्दीकी ने महफिल ए मुशायरा कार्यकम करा बड़ी लाइन खींच दी हैं पार्षद मंसूर बदर की सरपरस्ती में हुए मुशायरा में लोकल और अंतरराष्ट्रीय शायरों ने ऐसा समां बांधा की पता ही नही चला की कब सुबह हुई…….

 

सच हैं की किसी लकीर को मिटाने से अच्छा हैं की उसके पास एक बड़ी लकीर खींच दी जाए,यही काम महफिल ए मुशायरा में मुशायरा सरपरस्त पार्षद मंसूर बदर और इज़हार मंसूरी और सईद सिद्दीकी और उनकी टीम ने कर दिखाया,एक छोटे बजट के प्रोग्राम को बेहतर ढंग से इस्लामिया स्कूल की फील्ड में करवाया गया पूरे जिले से लोग मुशायरा सुनने के लिए आए भीड़ इतनी ज्यादा रही की जगह कम पड़ गई मुशायरा की शुरुआत अमरावती से आए शायर जावेद इशाती ने नाते पाक पढ़ कर की, सुबह 5 बजे तक चले इस कामयाब मुशायरा में शायरों ने एक से बढ़कर एक कलाम पेश किया मुबई से आए मेहमान शायर शकील आज़मी ने कहा…

कहीं मंदिर में दीया नही कहीं मस्जिदों में दुआ नहीं!

मेरे शहर में खुदा बहुत, मगर आदमी का पता नही! सुना खूब दाद बटोरी, उन्होंने कहा “आँख मिलते ही नई चाल में आ जाता हैं!

दिल परिंदा हैं, तेरे जाल में आ जाता हैं! के साथ, सुबह होने तक अपना कलाम पेश किया मशहूर अंतराष्टीय शायर जौहर कानपुरी ने एक से बढ़कर एक कलाम पेश किया उन्होंने कहा, उस को लेकर गया था कांधे पर,खुद को दफना कर आ रहा हूं मैं!उन्होंने ये भी पढ़ा..

वो झूठ बोल रहा हैं तो बोलने तो उसे!

दुकानदार हैं कोई इमाम थोड़े ही हैं, जो तुम कहो वो ही लिखूं,जो तुम कहो वो ही बोलूं!

मेरा मिजाज़ तुम्हारा गुलाम थोड़े ही हैं को सुना भरपूर दाद बटोरी! अलीगढ़ से आई गजलो की मलिका मुमताज़ नसीम ने कहा “किसी ऐसे वैसे के सामने कभी दिल के राज़ ना खोलिए! बड़े दिल पे बोझ कभी अगर, तो ग़ज़ल के लहजे में बोलिए!

मुमताज़ ने बदरिया रे वहां जा के बरसो रे जहां मोरे संवरिया और पागलपन में क्या बतलाऊं, सजना क्या क्या भूल गई गीत गा कर लोगो को झूमने पर मजबूर कर दिया कानपुर से आई शायरा शाइस्ता सना को लोगो ने बार बार सुना उन्होंने शेर और गीतों से समा बांध दिया कहा “खुशबू बन कर गुलदान में रहती हूं, हिंदू मुस्लिम सब करते हैं प्यार मुझे! मै उर्दू हूं, हिन्दुस्तान में रहती हूं!सुना खूब दाद ली, दिल्ली से आए ग़ज़ल के बादशाह इकबाल अशहर ने अपने गीतों और शेरो से लोगो को एक से बढ़कर एक गीत सुनाए “उर्दू हैं मेरा नाम मै खुसरो की पहेली, मै मीर की हमराज हूं, गालिब की सहेली!सुना लोगो का दिल जीता !रामपुर से आए बुजुर्ग शायर शह जादा गुलरेज के कहा “सियाह रात थी, रोशन चराग कोई ना था! मगर हमारे भी दामन में दाग कोई ना था सुना दाद ली! अंतरराष्ट्रीय शायर काशिफ रज़ा ने कहा “जिस्मों की जब अब नुमाइश,सड़को पे आम हैं! आंखों का क्या कसूर अगर बेलगाम हैं! और तलवार भी, तीर भी, खंजर भी दोस्तो! तो ले आओ बेकसूर को सब इंतजाम हैं! सुना लोगो का दिल जाता काशिफ रज़ा को बार बार लोगो ने सुना गजल के शायर अमजद आतिश ने एक से बढ़कर एक शेर गीत सुनाए “छटपटा कर मरोड़ दी सिगरेट आज गुस्से में तोड़ दी सिगरेट! तेरी नाराजगी कबूल नहीं, ले मेरी जान तोड़ दी सिगरेट! बेहद कामयाब शायर खुर्शीद हैदर को श्रोता जाने हो नहीं दे रहे थे उनके गीत, शेरो ने पूरे पंडाल में कई बार तलाईया बजवाई, उन्होंने कहा “किसी का कल संवारा जा रहा हैं हमे किस्तों में मारा जा रहा हैं! घटाओ में सियासत हो रही हैं हवाओ पर इशारा जा रहा हैं! किसी की ताजपोशी हो रही हैं किसी का सर उतारा जा रहा हैं! पहली बार संभल से आए इंतकाब संभली को लोगो ने खूब सुना उन्होंने कहा “बलाए सर से खुदा उसकी टाल देता हैं, जो अपनी जान का सदका निकल देता हैं!बुराई जब कोई करता हैं मेरी तो अपनी वो नेकीया मेरे हिस्से में डाल देता हैं! को लोगो ने कई बार सुना! आज के दौर का राहत इंदौरी महमूद असर को भी लोगो ने खूब सुना” अपने खिलाफ तेरी गवाही के बाद भी, जिंदा हूं देख, इतनी तबाही के बाद भी! तेरे होंठो पे मेरा नाम आ सकता हैं। इस दवा से तुझे आराम भी आ सकता हैं। अंतराष्ट्रीय शायर नदीम शाद बेहद कामयाब रहे। “खूब सुकून देते थे, खूब रुलाया करते थे! याद भी उसको रोज किया, और रोज भुलाया करते थे! बेहद कामयाब मुशायरा की निजामत कर रहे मुबई से आए अल्तमश अब्बास ने शानदार निजमत की उन्होंने कहा”अगर मैं कागज़ पे दिल बना लूं,तो दिल में धड़कन कहा से लाऊं! और हमारा दिल भी लगता हैं उस कमी न के साथ, मुशायरा में अमरावती से जावेद इशाती, कलीम समर, अलीम वाजिद, जहाज देवबंधी, और खुर्रम सुल्तान, रहमान रजा, इकरा नूर, उबैद नजीबाबादी, तालिब ईरफानी ने अपने कलाम से लोगो का दिल जीता सहारनपुर के लोकल शायरों को भी अवार्ड दिए गए, मुशायरा का उद्घाटन औसाफ गुड्डू, मंसूर बदर और न्यूज परिक्रमा के संपादक नवाजिश खान ने किया शमा रोशन पूर्व मंत्री शायन मसूद, हमजा मसूद,पंजाबी समाज अध्यक्ष पल्ली कालड़ा, पार्षद समीर अंसारी,अहमद मलिक, जफर अंसारी, आसिफ अंसारी, गुलजेब खान, हाजी मोहर्रम अली पप्पू ने की, मुशायरा की सदारत योगेश दहिया ने की, मुशायरा में देश के अलग अलग हिस्सों से आए 25 शायरों ने अपना कलाम पेश किया लोगो की जुबां पर यही बात रही की पार्षद मंसूर बदर और उनके पार्षदों की टीम ने पहली बार लोकल और अंतरराष्ट्रीय शायरों को इतना बड़ा मंच दिया,और पहली बार सुबह 5 बजे तक लोगो ने दिल लगाकर सुना जिसके लिए मंसूर बदर और उनकी टीम बधाई के पात्र हैं मुशायरा के कन्वीनर इजहार मंसूरी और सईद सिद्दीकी रहे मुशायरा में मसरूर बदर, नासिर खान, मारूफ बदर, नेता आलिम बक्शी, नय्यर ज़ुबैरी, अलमास, जाकिर, नवाब, इस्माइल, अहकम अंसारी, कमाल, सोनू जैदी, इमरान अंसारी, बिलाल अंसारी ने व्यवस्था बनवाने में सहयोग दिया!

रिपोर्ट रमेश सैनी सहारनपुर इंडियन टीवी न्यूज़

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