भाजपा मंडल अध्यक्ष दारू अशोक कुशवाहा ने अटल बिहारी वाजपेई का जन्मदिन हर्षोल्लास के साथ मनाया
अशोक कुशवाहा ने अटल बिहारी वाजपेई के बारे में चर्चा कर लोगों को किया प्रेरित
हजारीबाग/दारू: दारू मंडल में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई जी का जन्म शताब्दी दिवस बड़े धूमधाम से झुमरा देवदयाल स्मृति भवन में भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा मनाया गया जिसमें मंडल अध्यक्ष अशोक कुशवाहा ने बताया की अटल बिहारी वाजपेई जी भारतीय जनता पार्टी की एक ऐसे व्यक्तित्व नेता थे जिनके मार्गदर्शन में राजनीतिक व्यवस्था को मजबूत करनी है उसी को लेकर मंडल अध्यक्ष अशोक कुशवाहा ने उनके तस्वीर में पुष्प अर्पित कर उनके जन्मदिन पर केक काट कर मिठाइयां बांटते हुवे अटल बिहारी वाजपेई के बारे में जानकारियां लोगों को दी की अटल बिहारी वाजपेयी (25 दिसम्बर 1924 – 16 अगस्त 2018) भारत के दसवें प्रधानमन्त्री थे। उन्होंने प्रधानमंत्री का पद तीन बार संभाला है, वे पहले 13 दिन के लिए 16 मई 1996 से 1 जून 1996 तक। फिर लगातार 2 साशन; 8 महीने के लिए 19 मार्च 1998 से 13 अक्टूबर 1999 और फिर वापस 13 October 22 मई 2004 तक भारत के प्रधानमन्त्री रहे।[1] [2]वे हिन्दी कवि, पत्रकार व एक प्रखर वक्ता थे।[3] वे भारतीय जनसंघ के संस्थापकों में एक थे, और 1968 से 1973 तक उसके अध्यक्ष भी रहे। उन्होंने लम्बे समय तक राष्ट्रधर्म, पाञ्चजन्य (पत्र) और वीर अर्जुन आदि राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत अनेक पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया।वह चार दशकों से भारतीय संसद के सदस्य थे, लोकसभा, निचले सदन, दस बार, और दो बार राज्य सभा, ऊपरी सदन में चुने गए थे। उन्होंने लखनऊ के लिए संसद सदस्य के रूप में कार्य किया,[4] 2009 तक उत्तर प्रदेश जब स्वास्थ्य सम्बन्धी चिन्ताओं के कारण सक्रिय राजनीति से सेवानिवृत्त हुए। अपना जीवन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के रूप में आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लेकर प्रारम्भ करने वाले वाजपेयी राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन (राजग) सरकार के पहले प्रधानमन्त्री थे, जिन्होंने गैर काँग्रेसी प्रधानमन्त्री पद के 5 वर्ष बिना किसी समस्या के पूरे किए। आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लेने के कारण इन्हे भीष्मपितामह भी कहा जाता है। उन्होंने 24 दलों के गठबन्धन से सरकार बनाई थी जिसमें 81 मन्त्री थे। 2005 से वे राजनीति से संन्यास ले चुके थे और नई दिल्ली में 6-ए कृष्णामेनन मार्ग स्थित सरकारी आवास में रहते थे ।[5] 16 अगस्त 2018 को लम्बी बीमारी के बाद अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, दिल्ली में श्री वाजपेयी का निधन हो गया। वे जीवन भर भारतीय राजनीति में सक्रिय रहे। ओर मंडल अध्यक्ष अशोक कुशवाहा ने अटल बिहारी वाजपेई जी के पांच प्रमुख राजनीति के बारे में चर्चा की। 1 राजनीति काजल की कोठरी है। जो इसमें जाता है, काला होकर ही निकलता है। ऐसी राजनीतिक व्यवस्था में ईमानदार होकर भी सक्रिय रहना, बेदाग छवि बनाए रखना, क्या कठिन नहीं हो गया है? 2 मेरे भाषणों में मेरा लेखक ही बोलता है, पर ऐसा नहीं कि राजनेता मौन रहता है। मेरे लेखक और राजनेता का परस्पर समन्वय ही मेरे भाषणों में उतरता है। यह जरूर है कि राजनेता ने लेखक से बहुत कुछ पाया है ।. साहित्यकार को अपने प्रति सच्चा होना चाहिए । उसे समाज के लिए अपने दायित्व का सही अर्थों में निर्वाह करना चाहिए । उसके तर्क प्रामाणिक हो । उसकी दृष्टि रचनात्मक होनी चाहिए । वह समसामयिकता को साथ लेकर चले, पर आने वाले कल की चिंता जरूर करे। 3 मैं पाकिस्तान से दोस्ती करने के खिलाफ नहीं हूं । सारा देश पाकिस्तान से संबंधों को सुधारना चाहता है, लेकिन जब तक कश्मीर पर पाकिस्तान का दावा कायम है, तब तक शांति नहीं हो सकती। 4 पाकिस्तान कश्मीर, कश्मीरियों के लिए नहीं चाहता । वह कश्मीर चाहता है पाकिस्तान के लिए। वह कश्मीरियों को बलि का बकरा बनाना चाहता है। 5 अगर किसी को दल बदलना है तो उसे जनता की नजर के सामने दल बदलना चाहिए । उसमें जनता का सामना करने का साहस होना चाहिए । हमारे लोकतंत्र को तभी शक्ति मिलेगी जब हम दल बदलने वालों को जनता का सामना करने का साहस जुटाने की सलाह देंगे ।