05 दिन से डिजिटल अरेस्ट एसएएफ जवान को ग्वालियर पुलिस सायबर सेल की तत्परता से कराया गया मुक्त

ग्वालियर दिनांक 21.01.2025। *पुलिस अधीक्षक ग्वालियर श्री धर्मवीर सिंह,भापुसे* द्वारा सायबर क्राइम के प्रकरणों में जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाने एवं त्वरित कार्यवाही करने के साथ आमजन के बीच सायबर अपराधों के प्रति जागरूकता फैलाने तथा उन्हें सायबर ठगी का शिकार होने से बचाने के दिशा-निर्देश जारी किये गए हैं और समय-समय पर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। इसी तारतम्य में *अति0 पुलिस अधीक्षक (पूर्व/अपराध/यातायात) श्री कृष्ण लालचंदानी,भापुसे* द्वारा सायबर सेल एवं सायबर क्राइम विंग की पुलिस टीम को आमजन के बीच सायबर अपराधों के प्रति जागरूकता फैलाने तथा उन्हें सायबर ठगी का शिकार होने से बचाने हेतु निर्देशित किया गया।

वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशों के परिपालन में *डीएसपी अपराध श्री नागेन्द्र सिंह सिकरवार* के कुशल मार्गदर्शन में *सायबर सेल प्रभारी उनि0 रजनी रघुवंशी* के नेतृत्व में सायबर सेल टीम को सायबर ठगी के बचाव एवं सायबर अपराधों के प्रति जागरूकता फैलाने हेतु लगाया गया। आज दिनांक 21.01.2025 को एसएएफ सेकण्ड वाहिनी के प्रधान आरक्षक रामशरण जाटव जो वर्तमान मे रीवा मे पोस्टेड हैं, वह सायबर सेल ग्वालियर में अपने पुत्र विकाश व पड़ोसी उपेन्द्र कुमार के साथ आये जो बहुत ही डरे हुये थे, उन्होने बताया कि पिछले 4-5 दिन से मेरे मोबाइल फोन पर व्हाटसएप पर एक मोबाइल नंबर से कॉल और वीडियो कॉल आ रहे हैं जो स्वयं को महाराष्ट्र पुलिस के अधिकारी बता रहे हैं और किसी नरेश गोयल नाम के व्यक्ति के साथ मनी लॉड्रिंग के अपराध मे मुझे शामिल होने का बता रहे थे और नरेश गोयल से जो कागजात जप्त हुये है उसमंे (रामशरण) मेरेे नाम से आधार कार्ड व सिम पाये गये है, मुझे व्हाट्सएप पर एक (फर्जी) अरेस्ट वारंट भी भेजा गया और कहा गया कि हाईकोर्ट से आपके खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी हुये हैं। आपके पास जितनी भी सम्पत्ति है उसे जप्त किया जाकर आपको डिजिटल अरेस्ट किया गया है, यदि आपने अपने किसी भी रिश्तेदार या अन्य व्यक्ति को डिजिटल अरेस्ट के संबंध मे सूचना दी तो आपको अगले एक घंटे मे गिरफ्तार कर लिया जायेगा और हम आपके विभाग को सूचित कर देगें और सस्पेंड कराने की धमकी भी दी गई। उन्होने कहा कि आप हमारी निगरानी मे हैं और प्रत्येक 2 घंटे मे अपनी लोकेशन देते रहिये इसलिये जो कहता हूं वही करिये और दौरान मुझसे कई लोगों ने उसी कॉल पर बात कर मेरे बैंक खातों व जीपीएफ खाता व सम्पत्ति की जानकारी व परिवार के सदस्यों की जानकारी ले ली है और 8 लाख आरटीजीएस भी करवाने का बोल रहे हैं जिसके लिये मै रीवा से अवकाश पर ग्वालियर आया और बैंक मे लोन लेने के लिये कागजात लेकर इसके बारे मे अपने बेटे विकाश को बताया तब मेरे बेटे विकाश ने बताया पापा यह तो फर्जी नंबर है, और कोई हमे ठगने की कोशिश कर रहा है, और मेरे पड़ोसी उपेन्द्र ने भी मुझे समझाया तब भी मै काफी डरा हुआ हूॅ और कुछ भी समझ पाने की स्थिति मे नही हूॅ।

उक्त मामले में सायबर सेल टीम द्वारा उक्त फर्जी नंबर पर कॉल लगाकर पीड़ित के बेटे का परिचय देकर बात की गई तब जालसाजों द्वारा बोला गया कि अपने पिता से बात कराओ और बैंक जाकर जो बोला गया है वो करो नही तो तुम लोग बहुत बड़ी मुसीबत मे फंस जाओगे तब सायबर टीम द्वारा अपना परिचय दिया गया तो वह धमकाने के लहजे से बोला तुम कौन होते हो पुलिस अधिकारियों से पूछताछ करने बाले, तुम जानते नही हो हम कौन बात कर रहे हैं। तब सायबर सेल टीम द्वारा बोला गया कि अगर तुम महाराष्ट्र पुलिस के अधिकारी हो तो किस अधिनियम या कानून के तहत आप किसी व्यक्ति को डिजिटल अरेस्ट कर सकते हैं एवं उसका फोटो परिचय पत्र मांगा गया तो, जालसाजों द्वारा तत्काल व्हाट्सएप कॉल काट दिया गया। सायबर सेल की टीम द्वारा पीडित को बताया गया कि डिजिटल अरेस्ट जैसा देश में कोई प्रावधान नहीं है साथ ही उन्हे जालसाजों ने अपराध में संलिप्त होने के नाम पर जो भी नोटिस भेजे है वे पूरी तरह से फर्जी हैं। आप इन पर विश्वास न करें। तब जाकर उन्होने राहत की सांस ली। *सायबर सेल की टीम की तत्परता व त्वरित कार्यवाही से एसएएफ जवान के साथ होने वाली वित्तीय ठगी को होने से रोका गया और फरियादी एवं उनके परिवार सदस्यों द्वारा ग्वालियर पुलिस की सायबर सेल का हृदय से धन्यवाद दिया।*

*एडवाइजरी-*
1. देश में डिजिटल अरेस्ट जैसा कोई भी प्रावधान नहीं है तथा कोई भी असली पुलिस अधिकारी /सीबीआई या क्राइम ब्रांच अधिकारी फोन पर या विडियो कॉल पर डिजिटल अरेस्ट होने के लिए नही कहता है, ऐसे कॉल मैसेज प्राप्त होने पर कोई प्रतिउत्तर न दें एवं उन नंबर्स को तत्काल ब्लॉक कर दें।2. व्हॉट्सएप, फेसबुक या इंस्टाग्राम पर आने वाले किसी भी संदिग्ध कॉल को न उठायें और यदि फोन उठा लिया है तो घबरायें नही अपनी निजी व आर्थिक जानकारी साझा न करें।
3. शक होने पर तुरंत फोन को काट दें एवं अपने नजदीकी पुलिस थाने व सायबर सेल जाकर या ऑनलाइन www.cybercrime.gov.in  या 1930 कॉल पर रिपोर्ट करें।

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