
छत्तीसगढ़ मनरेगा कर्मचारी महासंघ ने सरकार और प्रशासन की उदासीनता के खिलाफ खोला मोर्चा…
गरियाबंद : छत्तीसगढ़ मनरेगा कर्मचारी महासंघ ने कलेक्टर
दीपक अग्रवाल जिला गरियाबंद को ज्ञापन सौंपते हुए अपनी प्रमुख मांगों पर तत्काल कार्यवाही की मांग की है। मनरेगा महासंघ का कहना है कि बार-बार पत्राचार और आश्वासनों के बावजूद मानव संसाधन नीति लागू नहीं हो रही है, 2022 की हड़ताल अवधि का वेतन/मानदेय अभी तक अटका पड़ा हुआ है और पिछले 3 से 5 महीनों का वेतन भुगतान भी अब तक लंबित है, जिससे हजारों मनरेगा कर्मियों को आर्थिक संकट और मानसिक तनाव का सामना करना पड़ रहा है।
छत्तीसगढ़ सरकार ने 29 अगस्त 2024 को आदेश जारी कर 8 सदस्यीय समिति का गठन किया था, जिसका उद्देश्य मनरेगा कर्मियों के नियमितीकरण की प्रक्रिया पूरी होने तक सेवा एवं सामाजिक सुरक्षा हेतु मानव संसाधन नीति लागू करना था। लेकिन 6 महीने बीत जाने के बावजूद भी इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
मनरेगा महासंघ ने शासन के उन आदेशों का हवाला दिया है जिनमें 4 अप्रैल 2022 से 14 जून 2022 तक चली हड़ताल अवधि के वेतन/मानदेय के भुगतान का आदेश जारी किया गया था। लेकिन आज तक इस पर अमल नहीं हुआ।
कर्मियों का कहना है कि बार-बार फाइलें आगे बढ़ाने की बात कहकर सरकार उनके धैर्य की परीक्षा ले रही है। इसके अलावा, बीते 5 महीनों से वेतन भुगतान नहीं किया गया है, जिससे कर्मचारी अपने परिवार की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने में असमर्थ हो रहे हैं। बच्चों की स्कूल फीस भरना, रोजमर्रा के राशन का इंतजाम करना और चिकित्सा खर्च वहन करना मुश्किल होता जा रहा है। महासंघ ने इस बात पर भी आपत्ति जताई कि मनरेगा कर्मियों को केंद्र और राज्य सरकार के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद भी अन्य योजनाओं में झोंका जा रहा है। कर्मियों को प्रधानमंत्री आवास योजना, डीएमएफ योजना, 14वें और 15वें वित्त आयोग, राशन कार्ड सत्यापन, स्वास्थ्य बीमा, कोरोना टीकाकरण, चुनाव कार्य, पंचायत भवन निर्माण, आंगनबाड़ी, स्वच्छ भारत मिशन और धान खरीदी सहित कई गैर-मनरेगा कार्यों में लगा दिया गया है। जबकि शासन के आदेशों में यह स्पष्ट किया गया है कि मनरेगा कर्मियों का वेतन/मानदेय भारत सरकार द्वारा केवल मनरेगा योजना के अंतर्गत किए गए कार्यों के लिए ही वहन किया जाएगा।
गरियाबंद जिला अंतर्गत मनरेगा महासंघ ने इसे श्रमशोषण करार देते हुए इसे तत्काल रोके जाने की मांग की है।
मनरेगा महासंघ का कहना है कि सरकार जब चुनाव के समय बड़े-बड़े वादे करती है, तो उसे कर्मचारियों के हितों को भी ध्यान में रखना चाहिए। वेतन/मानदेय अटकाना, सेवा सुरक्षा न देना और कर्मियों का गैर-मनरेगा कार्यों में शोषण करना सरकार की नीतियों पर गंभीर सवाल खड़े करता है। अब देखना यह है कि सरकार मनरेगा कर्मियों की जायज मांगों को जल्द पूरा करती है या उन्हें फिर से सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर किया जाता है।
उक्त जानकारी गरियाबंद जनपद पीओ सिराज खान द्वारा दी गई। वहीं ज्ञापन सौंपने वालों में जिला पंचायत मनरेगा शाखा अधिकारी बुद्धेश्वर साहू, जनपद पीओ सिराज खान,
जितेंद्र पाठक, रीना ध्रुवे, घासीन साहू, रमेश कंवर, बालकृष्ण चंद्रा, पुनीत सिन्हा, मनीष ध्रुव,दीपक राजपूत, देवलाल भारती आदि शामिल थे।