चौन की नींद सोना हैं तो जरूर लें धूप, सूर्ज की रोशनी दूर करेगी सारी तकलीफें

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काम के वक्त नींद आने की समस्या तो आम है। कुछ लोग ऐसे होते हैं जो अपनी नींद पर काबू ही नहीं कर पाते हैं। यहां तक कि रात को पूरी नींद लेने के बाद भी वह थके- थके महसूस करते हैं। ऐसे मे एक अध्ययन में दावा किया है कि सूर्य की रोशनी के संपर्क में ना आने से रात को सोने की समस्या आती है। यानी कि नींद में होने वाले परिवर्तन के लिए मौसम में होने वाला बदलाव भी काफी हद तक जिम्मेदार हैं।
नींद में रुकावट
इस शोध में वाशिंगटन विश्वविद्यालय के 507 ग्रेजुएट छात्रों को शामिल किया गया है। इसमें अधिक नींद और दिन के प्रकाश के संबंध में अवलोकन किया गया। इस स्टडी में पाया गया कि अधिकतर लोग सर्दी के मौसम में देर रात सोते हैं और सुबह देर सक जागते हैं। जीवविज्ञानी होरासियो डे ला इग्लेसिया की मानें तो हमारे शरीर में एक प्राकृतिक सर्कैडियन घड़ी है जो हमें बताती है कि रात में कब सोना है। उनका कहना है कि अगर आपको दिन में सूरज की रोशनी के संपर्क में आने पर ज्यादा नींद आती है, तो वहीं रात के समय में प्राकृतिक सर्कैडियन घड़ी नींद आने में रुकावट पैदा करती है।
सूरज की रोशनी डालती है ये प्रभाव
रिसर्च में पाया गया कि सर्दियों के दौरान छात्र औसत 35 मिनट बाद बिस्तर पर जाते हैं और गर्मियों की तुलना में औसत 27 मिनट बाद जागते हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि दिन के समय में रोशनी का जोखिम हमारे शरीर पर अलग-अलग प्रभाव डालता है। दिन के दौरान रोशनी में हमें नींद आने की ज्यादा संभावना है और रात के पास आने पर हम नींद के लिए कम तैयार होते हैं
सूरज की रोशनी के रहे संपर्क में
बहुत से लोगों को रात को लोगों को नींद ना आने की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। इस समस्या का समाधान यही है कि लोगों को दिन में पर्याप्त समय के लिए घर से बाहर निकलना चाहिए। लोगों को कुछ समय के लिए सूरज की रोशनी का आनंद लेने की सलाह दी जा रही है यह मूड और इम्युनिटी को दुरुस्त रखने में आपकी मदद करेगा। इससे पहले भी यह दावा किया गया है कि विटामिन डी की कमी से नींद की अवधि भी कम हो जाती है। 50 से ज्यादा उम्र के लोगों के लिए विटामिन डी की कमी का सीधा असर नींद पर पड़ता है।
नींद नहीं आने से होता है रिस्क
कहा जाता है कि जिन लोगों के शरीर में विटामिन डी की कमी होती है उन्हें नींद ही नहीं आती है। जिस कारण वह बिल्कुल नहीं या फिर कुछ ही घंटे सो पाते हैं। जब भी वह सोने की कोशिश करते हैं तो उन्हें बेचौनी महसूस होती है। इसके साथ ही ऐसे लोगों को इंसोमनिया, स्लीप डिस्रप्शन आदि का रिस्क भी बढ़ जाता है। अगर आप के शरीर में विटामिन डी की कमी है और स्लीप डिसऑर्डर काफी लंबे समय से मौजूद है तो इनका आपके जीवन पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ सकता है।

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