कौशिक नाग-कोलकाता बंगाल कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफे की खबरों पर अधीर रंजन ने तोड़ी चुप्पी, जानिए क्या कहा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी ने अपने इस्तीफे की खबरों को सिरे से खारिज कर दिया है. उनका कहना है कि कांग्रेस के संविधान के में कहा गया है कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होने के बाद सभी प्रदेश इकाइयों के अध्यक्ष अस्थायी प्रमुख बन जाते हैं. वह इस समय अस्थाई प्रदेश अध्यक्ष हैं. लोकसभा चुनाव खत्म होते ही पश्चिम बंगाल के कांग्रेस अध्यक्ष के बदलाव की अटकलें तेज हो गईं थीं. लगातार सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा था कि सूबे के पार्टी अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने अपने पद से इस्तीफा दिया है और अपने इस्तीफे को पार्टी हाईकमान को भेज दिया है, लेकिन अब अधीर रंजन चौधरी ने स्थिति स्पष्ट कर दी है. उन्होंने ऐसी अटकलों पर विराम लगा दिया है. दरअसल, इस बार के लोकसभा चुनाव में उनकी हार हुई है और वे जीत की हैट्रिक लगाने से चूक गए. बहरामपुर के ‘रॉबिनहुड’ अधीर चौधरी का अभेद्य किला तृणमूल कांग्रेस ने ढहा दिया. अधीर अपनी सीट पर हार गए. अधीर रंजन चौधरी का कहना है कि कांग्रेस के संविधान के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का जब से चुनाव हुआ है तब से सभी प्रदेश इकाइयों के अध्यक्ष अस्थायी प्रमुख बन गए. वह इस समय कांग्रेस के प्रदेश इकाई के अस्थायी अध्यक्ष हैं. यह आश्चर्य वाली बात है कि ऐसी कहानियां गढ़ी जा रही है कि हमने इस्तीफा दे दिया है. इस बार पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन अपना असर नहीं दिखा पाया. कांग्रेस ने अधीर रंजन के नेतृत्व में वाम दलों के साथ गठबंधन किया था और तृणमूल के साथ बीजेपी से दो-दो हाथ करने उतरी थी, लेकिन उसे कोई अच्छा रिजल्ट नहीं मिला. अधीर खुद अपनी सीट हार गए. टीएमसी ने पूर्व क्रिकेटर यूसुफ पठान को उनके खिलाफ उतारा था, जिन्हें जीत हासिल हुई है. बहरामपुर में चुनाव प्रचार करते हुए अभिषेक बनर्जी ने सीधे तौर पर बंगाल में इंडिया गठबंधन की विफलता में अधीर चौधरी की भूमिका पर सवाल उठाया था. कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी लोकसभा चुनाव के संदर्भ में बंगाल के इस समीकरण के बारे में बात की थी. खरगे का कहना था कि जब कोई फैसला लेने की बात आती है तो पार्टी के पास फैसले लेने के लिए आलाकमान है. पार्टी हाईकमान जो तय करता है वही होता है. इस बीच एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है कि प्रदेश में अधीर रंजन के बाद अगला अध्यक्ष कौन हो सकता है? कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस सांसद ईशा खान चौधरी प्रदेश अध्यक्ष बनने की रेस में सबसे आगे चल रही हैं. इसके अलावा प्रदीप भट्टाचार्य और अब्दुल मन्नान भी प्रदेशाध्यक्ष बनाए जा सकते हैं.