राजस्थान की संस्कृति और परम्परा ओ के अनुसार समंदर हिलोरा भाइयों ने चुनरी ओढ़ाकर अपने हाथों से पिलाया पानी बहीनो को
स्थान गांव रामपुरा दिपानाडा
हर साल की भांति इस साल भी समंदर हिलोरा त्योहार के रूप में मनाया गया गांव रामपुरा
इसे देवजुलनी ग्यारस भी कहते हैं इसी के दिन संमद हीलोरा जाता है
भाई और बहन के पवित्र बंधन को बाधे समंदर हिलोरा का पावन पर्व मनाते हैं. ये परम्परा वर्षों से चली आ रही है. यह आयोजन हरियाली एकादशी के दिन होता है. जिसमें सूर्य की पहली किरण के साथ ही लोगो में उल्लास का माहौल रहता है.
राजस्थान में कई तरह के रंग और त्योहार मनाए जाते हैं सामाजिक समर सत्ता का हम एक अनोखी परंपरा का जिक्र करने जा रहे हैं बहने भाइयों की लंबी आयु के लिए समदर हिलोरा उत्सव में शामिल होती हैं साथी भाई भी अपनी बहन की लंबी उम्र की कामना करते हैं और उनके परिवार के लिए सुख समृद्धि की कामना की और सदा सुखी रहने की कामना भगवान से करते हैं बाद में बहनों ने भी परिवार में सुख समृद्धि वह भाई के लम्बी उम्र की कामनाएं करती हैं इसी सामाजिक परंपराओं के तहत गांव रामपुरा में देवजुलनी ग्यारस पर दीप नाडा तालाब पर भील समाज तथा देवासी समाज की भाई बहनों के जोड़ों ने एक साथ संमदर हीलोरा का उत्सव मनाया गया
बहन ने अपने मटकी लेकर तालाब के अंदर चली जाती है फिर बाद में भाई और भाभी दोनों चले जाते हैं अंदर और बहनों को पानी पिलाकर चुनरी उड़ा कर बाहर निकाला जाता है गांव रामपुरा के अबकी बार 24 समंदर हिलोरा गया इस समद हलोरा की रसम को देखने के लिए हजारों की भीड़ में लोग व महिलाएं पहुंची देखने के लिए साथी चोईस मठो के साथ बहनों ने तालाब के चारों ओर परिक्रमा लगाते हुए विभिन्न गीतों का गुण गान किया सभी गांव वालों ने मिलकर ठाकुर जी महाराज को भी दीपा नाडा के अंदर झिलाया गया फिर बाद में बहनों ने चुनरी उड़कर भाई ने लंबी उम्र की कामना की संमदर हीलोरने को लेकर गांव में 3 बजे से शाम ढल ने तक मेले जैसा माहौल रहा।
इंडियन टीवी न्यूज़ रिपोर्टर भोलाराम भील