कभी घर की नीलामी तक को ठीक नहीं समझा जाता था,अब तो खिलाड़ी..!!

कभी घर की नीलामी तक को ठीक नहीं समझा जाता था,अब तो खिलाड़ी..!!

देख तेरे संसार की क्या हालत हो गई भगवान कितना बदल गया इंसान, आज वाकई में कुछ अजीब जमाना आ गया है!वस्तुओं, घरों और कबाड़ आदि को नीलाम होते सुना था, पर अब तो खिलाड़ी नीलाम हो रहे हैं!जैसे खिलाड़ी, वैसे दाम,कोई करोड़ों में बिक जा रहा है,तो कोई लाखों में और कोई हाथ मलते रह जाता है!क्रिकेट मैच के कभी टिकट बिका करते थे जो आज भी जारी है,लेकिन खिलाड़ियों की नीलामी नई खेल-परंपरा ही है! पहले किसी के हाथ किसी व्यक्ति के बिक जाने को बुरा समझा जाता था,पर अब तो उसका स्वरूप बदल गया है!यह बेहिचक कहा जाता है सबसे ज्यादा कीमत फलां खिलाड़ी को मिली और उसके बाद दूसरे, तीसरे। ऐसे घटते क्रम में इनकी नीलामी होती चली जाती है। जिसे ज्यादा पैसे मिले, वह किस्मत वाला और जिसे नहीं मिले, वह खुद को कोसता होगा! सचमुच वक्त बदल गया!कभी घर की नीलामी तक को ठीक नहीं समझा जाता था! अब तो खिलाड़ी को जितनी ज्यादा कीमत मिल जाए,उसे उतना ही विशिष्ट समझा जाने लगा है!सचमुच विचित्र है यह।

रिपोर्ट रमेश सैनी सहारनपुर इंडियन टीवी न्यूज़

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