नरेश सोनी
इंडियन टीवी ऊ
ब्यूरो हजारीबाग
पत्रकार अजय मिश्रा को पितृशोक, भरे मन से दी पिता को मुखाग्नि
हजारीबाग। सन् नब्बे के दशक में साक्षरता अभियान के अग्रदूत रहे विद्वान पंडित प्रभुनाथ मिश्र अब नहीं रहे। करीब नब्बे वर्ष की आयु में हजारीबाग के खपरियावां स्थित अपने आवास पर 12 जनवरी की सुबह उन्होंने आखिरी सांस ली। उनका अंतिम संस्कार खपरियावां नदी तट पर श्मशान में किया गया। उनके बड़े पुत्र पत्रकार अजय मिश्र ने उन्हें मुखाग्नि दी। उनके अंतिम दर्शन और संस्कार में विभिन्न सामाजिक, साहित्यिक और सांस्कृतिक संगठनों के अलावा शिक्षाविद् और पत्रकारों ने भाग लिया। पं. प्रभुनाथ मिश्र वर्ष 1996 में जिला साक्षरता अभियान से प्रधान सहायक लेखापाल के रूप में जुड़े और हजारीबाग जिलेभर में शिक्षा की ऐसी लौ जलाई कि देशभर में हजारीबाग की अलग पहचान बना दी। जिला साक्षरता अभियान में जब वह थे तब हज़ारीबाग जिला को वर्ष 2001 में राष्ट्रपति पुरस्कार से नवाजा गया था। हजारीबाग के तत्कालीन डीसी रवि मित्तल ने उन्हें साक्षरता अभियान से जोड़ा था। डीसी रवि मित्तल उनके साक्षरता के कार्यों से काफी प्रभावित थे। प्रभुनाथ मिश्र ने घर-घर जाकर कई निरक्षर महिला -पुरुष को साक्षर बनाया। उन्होंने वर्ष 2016 तक साक्षरता का अलख जगाया। शरीर अस्वस्थ होने की वजह से खपरियावां स्थित अपने आवास पर सर्वोदय सिद्धार्थ ज्ञान मंदिर स्थापित कर आजीवन ज्ञान दान करते रहे। रेडियो के प्रति उनमें इस कदर दीवानगी थी कि जीवन के अंतिम क्षण तक ट्रांजिस्टर उनके शैय्या के पास पड़ी थी। घर में पं. प्रभुनाथ मिश्र की पत्नी जानकी देवी, दो पुत्र, पोता-पोती समेत भरा-पूरा परिवार है। वह पंडित चंद्रमणि मिश्र के इकलौते पुत्र थे।