आम की फसल को भुनगा एवं मिज कीट तथा खर्रा रोग से बचाये किसान
इंडिया टी वी न्यूज चैनल
रिपोर्टर अनिल सोनी
ब्यूरो चीफ बहराइच
बहराइच 06 मार्च। जिला उद्यान अधिकारी दिनेश चौधरी ने बताया कि आम के गुणवत्तायुक्त उत्पादन के लिए सम-सामयिक महत्व के कीट एवं रोगों का उचित समय प्रबन्धन नितान्त आवश्यक है, क्योंकि बौर निकलने से लेकर फल लगने तक की अवस्था अत्यन्त ही संवेदनशील होती है। वर्तमान में आम की फसल को मुख्य रूप से भुनगा एवं मिज कीट तथा खर्रा रोग से क्षति पहुँचने की सम्भावना रहती है।
श्री चौधरी ने बताया कि आम के बागों में भुनगा कीट कोमल पत्तियों एवं छोटे फलों के रस चूसकर हानि पहुँचाते हैं। प्रभावित भाग सूखकर गिर जाता है साथ ही यह कीट मधु की तरह का पदार्थ भी विसर्जित करता है, जिससे पत्तियों पर काले रंग की फफूंद जम जाती है फलस्वरूप पत्तियों द्वारा हो रही प्रकाश संश्लेषण की क्रिया मंद पड़ जाती है। इसी प्रकार से आम के बौर में लगने वाले मिज कीट मंजरियों एवं तुरन्त बने फलों तथा बाद में मुलायम कोपलों में अण्डे देती है, जिसकी सूड़ी अन्दर ही अन्दर खाकर क्षति पहुँचाती है, प्रभावित भाग काला पड़ कर सूख जाता है। भुनगा एवं मिज कीट के नियंत्रण हेतु इमिडाक्लोप्रिड 17.1 प्रतिशत एस.एल. (2.0 मि.ली./ली. पानी) या क्लोरपाइरीफास (1.5 प्रतिशत 2.0 मि.ली./ली. पानी) की दर से घोल बनाकर छिड़काव करने की सलाह दी जाती है।
जिला उद्यान अधिकारी ने बताया कि इसी प्रकार खर्रा रोग के प्रकोप से ग्रसित फल एवं डंठलों पर सफेद चूर्ण के समान फफूँद की वृद्धि दिखाई देती है। प्रभावित भाग पीले पड़ जाते हैं तथा मंजरियां सूखने लगती हैं। इस रोग से बचाव हेतु ट्राइडोमार्फ 1.0 मि.ली. प्रति लीटर या डायनोकेप 1.0 मि.ली./प्रति लीटर पानी की दर से भुनगा कीट के नियंत्रण हेतु प्रगोग किये जा रहे घोल के साथ मिलाकर छिड़काव किया जा सकता है। श्री चौधरी ने जनपद के सभी बागवानों को यह भी सलाह दी जाती है कि बागों में जब बौर पूर्ण रूप से खिला हो तो उस अवस्था में कम से कम रासायनिक दवाओं का छिड़काव किया जाये जिससे पर-परागण क्रिया प्रभावित न हो सके।
कीटनाशक के प्रयोग में बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में श्री चौधरी ने बताया कि कीटनाशक के डिब्बों को बच्चों व जानवरों की पहुँच से दूर रखें, छिड़काव करते समय हाथों में दस्ताने, मुॅह को मास्क व आँखों को चश्मा पहनकर ढक लेना चाहिए, जिससे कीटनाशी त्वचा व आँखों में न जाये। किसानों को सुझाव दिया गया है कि कीटनाशक का छिड़काव शाम के समय जब हवा का वेग अधिक न हो तब करना चाहिए अथवा हवा चलने की विपरीत दिशा में खड़े होकर करें तथा कीटनाशक के खाली पाउच/डिब्बों को मिट्टी में अवश्य दबा देवा चाहिए।