
पूर्व चयरमैन हरीश मलिक के पुत्र ने व्यापारियों के संग धरने की अगुआई की
जो दिनभर भाजपा के झण्डे का लाभ अधिकारीयो से लेते है वो आज व्यापारियों का सहारा लेकर महापोर् को कोसने मे व्यस्त दिखे
नजुल की भूमि कब्जा धारक भी महापोर् के विरुद्ध आग उगलते नजर आये आज भी नज़ुल् के 15 होटल पर टैक्स नही लगा है क्योकि नगर निगम के टैक्स अधिकारियों ने इनसे मिलभगत की हुई है यदि निगम के अधिकारियों ने ईमानदारी बरती होती तो आज यह हालात न होते
सहारनपुर महा नगरनिगम
निगम के अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों ने जनता और व्यापारियों में आक्रोश फैला दिया है। व्यापारियों ने निगम परिसर में बड़ा धरना आयोजित कर अपना विरोध दर्ज किया, जिसमें उन्होंने टैक्स की विसंगतियों पर सवाल उठाया। उनका कहना है कि अस्पताल जैसे बड़े प्रतिष्ठानों पर कम टैक्स लगाया जाता है, जबकि छोटी दुकानों पर अधिक टैक्स लगाया जाता है।
मुख्य मुद्दे
– भ्रष्टाचार के आरोप: निगम के अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए हैं, जिसमें टैक्स वसूली में अनियमितताओं का आरोप शामिल है।
– टैक्स की विसंगति: व्यापारियों का आरोप है कि बड़े प्रतिष्ठानों पर कम टैक्स लगाया जाता है, जबकि छोटी दुकानों पर अधिक टैक्स लगाया जाता है, जो न्यायोचित नहीं है।
– विपक्ष का साथ व्यापारियों को विपक्षी पार्षदों का समर्थन मिला है, जिन्होंने टैक्स कार्यवाही में कमियों को उजागर किया है और निगम प्रशासन की आलोचना की है।
– चुनावी संदेश व्यापारियों ने संकेत दिया है कि वे आगामी चुनावों में भाजपा को सबक सिखाएंगे, जो राजनीतिक प्रभाव को दर्शाता है।
– नगर निगम की भूमिका सिटी मजिस्ट्रेट ने व्यापारियों का ज्ञापन लेने के लिए निगम में पहुंचे, जो प्रशासन की ओर से कार्रवाई की उम्मीद जगाता है।
भविष्य की संभावनाएं
– निगम की कार्रवाई: निगम को व्यापारियों की मांगों पर विचार करना होगा और टैक्स विसंगतियों को दूर करने के लिए कदम उठाने होंगे, जिसमें पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करना शामिल है।
– राजनीतिक प्रभाव यह मुद्दा आगामी चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, जहां भाजपा को व्यापारियों के आक्रोश का सामना करना पड़ सकता है और अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए रणनीति बनानी होगी।
कानूनी पहलू
– भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 इस अधिनियम के तहत लोक सेवकों द्वारा आपराधिक अवचार और उसके लिए दंड के प्रावधान हैं। यदि कोई लोक सेवक अपने पद का दुरुपयोग कर अवैध रूप से संपत्ति अर्जित करता है, तो उसे 4 से 10 वर्ष की कारावास और जुर्माने की सजा हो सकती है।
निगम के अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करना और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करना आवश्यक है, ताकि प्रशासन में भरोसा बहाल हो सके।
सिटी मजिस्ट्रेट और सी औ पुलिस ने व्यापारियों से ज्ञापन लिया।
सहारनपुर से रमेश सैनी